एक वृक्ष की हत्या 

एक वृक्ष की हत्या

प्रश्न 1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ?

उत्तर- कवि कुंकुँवर नारायणजी के द्वार पर एक वृक्ष हुआ करता था । जो इस समय नहीं यानी उसे काटा जा चुका था । वह हमेशा उनके द्वार पर चौकीदार के रूप में तैनात रहता । धूप की तपिश में , सर्दी के ठण्ड में तथा वारिश की झोंकों में भी वह तन कर खड़ा रहता । यानी उसे खाकी बर्दी यानी अपना छाल पहने हुए । इसलिए कवि को वृक्ष चौकीदार के रूप में उन्होनहाता था ।

प्रश्न 2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था ?

उत्तर- कवि यहाँ एक वृक्ष का वर्णन करते हैं जो उनके द्वार पर चौकन्ना खड़ा रहता था । इसकी राइफल – सी एक सूखी ढाल लिए धूप में बारिश में , गर्मी में तथा सर्दी में हमेशा चौकन्ना अपनी खाली वर्दी में तैनात रहता था । जैसे दूर से ही ललकारता ” कौन ” तो कवि जवाब देते हस्त । कवि यहाँ उस वृक्ष को दोस्त की तरह समझते थे ।

प्रश्न 3. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता और क्यों ?

उत्तर- यहाँ इस कविता के माध्यम से कुँवर नारायणजी ने हमें यह बताने की कोशिश की कि प्रकृति का होना वृक्षों पर निर्भर करता है । अगर इस धरती पर वृक्ष नहीं होगें तब तरह रह की प्राकृतिक आपदा आयेगी जो हम जैसे मानवों के लिए घातक होंगे । अतः एक तरह से व्ह कविता चेतावनी के रूप में है साथ ही प्राकृतिक हरा – भरा तथा वृक्ष का बचाव करना हो इस कविता का मुख्य उद्देश्य है । इस कविता के समापन में कवि कहते हैं कि जब वृक्ष नहीं रहेंगे से नदियों में वर्षा के बिना जल सूख कर नाली हो जाएगीं , हवाओं में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाएगी , साथ ही साथ हमारे खाद्य पदार्थ एक रासायनिक रूप में जन्म लेगी , जो सबों के लिए घातक है । अतः जिस प्रकार से जंगल काटे जा रहे हैं एक दिन जंगल मरुस्थल में बदल जायेंगे । तब सिर्फ इस धरती पर मानव ही होंगे । जो जंगल के समान लुप्त हो जायेंगे । अतः इन खतरों हमें बचाना होगा|

प्रश्न 4 , घर , शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात करता है और क्यों ?

उत्तर – घर , शहर और देश के बाद कवि करता है क्योंकि हम मानव इसी तीन चीजों के की हत्या या कटाई होना इन वृक्ष के नदी , हवा तथा खाद्य पदार्थ को बचाने की बा आधार पर इस दुनिया में कायम है । अतः वृक्ष तीनों को प्रभावित होना भी होता है ।

प्रश्न 5. कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें ।

उत्तर- कुँवर नारायणजी पूरी तरह से नगर संवेदना के कवि हैं । यहाँ इस कविता में एक काटे जाने के बहाने पर्यावरण , मनुष्य और सभ्यता के विनाश की अंतर्व्यथा को अभिव्यक करती है । अतः इस कविता में एक बूढ़ा वृक्ष कवि के द्वार पर एक चौकीदार के रूप में खा रहता था जिससे कवि को ठण्डी हवाएँ , और ठण्डी छांव मिलती थी तथा इसका होना प्राकृतिक का सूचक होना भी कवि मानते थे । इस कविता के माध्यम से कवि वृक्ष की कटा होने से क्या – क्या हानि होगी इसकी ओर इशारा वे करते हैं । नदियों का सूखना , हवा में अशुद्धता खाद्य पदार्थ का संकट , पर्यावरण में भी बदलाव ये वृक्षों का न होने की सूचना है । अतः इस कविता का होता आज के परिवेश में एक प्रासंगिकता के रूप में है ।

 

प्रश्न 6. व्याख्या करें –

( क ) दूर से ही ललकारता , ‘ कौन ? ‘ / मैं जवाब देता , ‘ दोस्त ! ‘

 ( ख ) बचाना है जंगल को मरुस्थल हो जाने से / बचाना है मनुष्य को जंगल हो जाने से ।

 उत्तर- ( क ) इस पंक्ति में कवि और वृक्ष के बीच की संवाद को दर्शाता है । चूँकि कवि वृक्ष को एक चौकीदार के रूप में देखता है जो हर मौसम में तैनात एवं चौकन्ना उसके द्वार पर खड़ा रहा है । जैसे चौकीदार हो । और हर आने वाले से सवाल करता हो कौन ? तो लेखक जवाब देता मैं ।

 ( ख ) प्रस्तुत पंक्ति में कवि वृक्ष की उपयोगिता के विषय में बताना चाहते हैं । वे कहत चाहते हैं कि किस प्रकार जंगल या वृक्ष न रहने से प्राकृतिक आपदा आ सकती है । इसके प्रति वे सचेत करते हैं । वृक्ष के न होने पर वर्षा नहीं होगी तब सारे नदी नाले के रूप में हो जायेंगे । उसके बाद ये नाले सूख कर मरुभूमि के रूप में हो जाएगा । वही दूसरी ओर जंगल की कटाई से भी जंगल मरुस्थल का रूप ले लेगी । अतः इस पंक्ति में कवि जंगल को बचाने एवं वृक्ष की कटाई रोकने पर बल देते हैं ।

 प्रश्न 7. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।

उत्तर- प्रस्तुत कविता में एक बूढ़ा वृक्ष की कहानी है जो कवि के घर के द्वार पर एक चौकीदार के रूप में तैनात खड़ा है । धूप में वारिश में गर्मी में हमेशा चौकन्ना खड़ा है । दूर से ही ललकारता कौन तो लेखक जवाब देता मैं यहाँ द्वार पर वृक्ष का होना चौकीदार के रूप में कवि यह बताना चाहता है कि इसी प्रकार से हमारे सारे वृक्ष हमारी सुरक्षा में खड़े रहते हैं । वृक्ष के कारण ही हमें स्वच्छ वातावरण एवं पर्यावरण मिलते हैं । वृक्ष मानव जीवन की रक्षा हेतु आवश्यक है । इस वृक्ष के नहीं होने से नदियां नाला हो जाएँगी यानी वर्षा का अभाव हो जाएगा । हवा प्रदूषित हो जाऐंगे तथा खाद्य पदार्थों में जहर आ जाएगा । हर तरफ प्रदूषित वातावरण हो जायेंगे । अतः वही वृक्ष जो कवि के द्वार पर तैनात रहता था आज उसकी हत्या कर दी गई काट दी गई थी । अत : इसे रोकने के लिए कवि ने हमें आगाज किया है । वह आगाज है जंगल को मरुस्थल होने से रोकना तथा मनुष्य को जंगल अर्थात् पतन होने से रोकना । यहाँ ‘ एक वृक की हत्या ‘ शीर्षकता की सार्थकता साबित होती है ।

 

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