जित -जित मैं निरखत हूँ
प्रश्न 1. लखनऊ और रामपुर से बिरजू महाराज का क्या संबंध है ?
उत्तर- पंडित बिरजू महाराज का जन्म लखनऊ में 1938 को हुआ था इसलिए वह उनकी तरह से दोनों क्षेत्रों से उनका संबंध था । जन्म भूमि है । रामपुर में बहनों का जन्म हुआ तथा उनके बाबूजी 22 साल रहे थे । अतः इस
प्रश्न 2. रामपुर के नवाब की नौकरी छूटने पर हनुमानजी को प्रसाद क्यों चढ़ाया ?
उत्तर – बिरजू महाराज का नाचना शायद उनके बाबू जी को पसंद नहीं था । इसलिए रामपुर के नवाब की नौकरी टूटने पर हनुमान जी को प्रसाद चढ़ाया । वहाँ किनके सम्पर्क में आए ?
प्रश्न 3. नृत्य की शिक्षा के लिए पहले – पहल बिरजू महाराज किस संस्था से जुड़े और वहां किनके संपर्क में है
उत्तर- नृत्य की शिक्षा के लिए पहले – पहले बिरजू महाराज दिल्ली के हिन्दुस्तानी डान्स म्यूजिक संस्था से जुड़े और वहाँ निर्मला जी , कपिला जी एवं लीला कृपलानी के सम्पर्क में आए ।
प्रश्न 4. किनके साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला ? को पहली बार प्रथम पुरस्कार मिला था ।
उत्तर- अपने बाबू जी एवं अपने चाचा जी शम्भू महाराज के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज के साथ नाचते हुए बिरजू महाराज को पहली बार प्रथम पुरुस्कार मिला था |
प्रश्न 5. बिरजू महाराज के गुरु कौन थे ? उनका संक्षिप्त परिचय दें ।
उत्तर- विरजू महाराज के गुरु उनके बाबू जी ही थे । वे एक कलाकार थे । जो शुरू में रामपुर के नवाब के यहां नृत्य करते थे । उन्होंने अपनी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए अपने बेटे बिरजू को शिक्षा दी । अतः इनकी मृत्यु 54 साल के उम्र में ही हो गयी । जिसका कारण लू लगना था ।
प्रश्न 6. बिरजू महाराज ने नृत्य की शिक्षा किसे और कब देनी शुरू की ?
उत्तर – बिरजू महाराज ने सीताराम बंगला को नृत्य की शिक्षा दी । जब उनके पिता की मृत्यु हुई थी तथा उनकी अवस्था 9 साल की थी ।
प्रश्न 7. बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय कब आया ? उससे संबंधित प्रसंग का वर्णन कीजिए ।
उत्तर – बिरजू महाराज के जीवन में सबसे दुखद समय उनके बाबू जी की मृत्यु थी जिनका दसवाँ करने के लिए भी घर में पैसा नहीं था । दस दिन के अंदर उन्होंने दो प्रोगाम किए जिनसे उन्हें 500 रुपये इक्ट्ठे हुए तो दसवाँ और तेरहीं हुई । घर वालों की ऐसी हालात शायद उनके मित्र को भी नहीं मालूम थी । अतः बिरजू महाराज को इससे बड़ा कष्ट और कुछ नहीं था ।
प्रश्न 8. शंभू महाराज के साथ बिरजू महाराज के संबंध पर प्रकाश डालिए ।
उत्तर – शंभू महाराज बिरजू महाराज के चाचा थे । एक प्रसंग में , जब बाबू जी , चाचा जी एवं बिरजू महाराज ने प्राईवेट प्रोग्राम में नाचा तो बिरजू महाराज को ही प्रथम पुरस्कार मिला । जिसमें उनके चाचा ने कहा था बड़े मियाँ तो बड़े मियाँ छोटे मियाँ सुभान अल्लाह शंभू महाराज बड़े शौकीन तबीयत के थे । वे रोज अण्डा का अमलेट खाते थे । जब विरजू महाराज अंडा नहीं | खाते तो वे दाल खाने के लिए कहते । अतः दाल के नाम पर बिरजू महाराज बड़े आराम से ख थे । शंभू महाराज बड़े अपटूडेट रहते थे । अतः ऐसी ही अवस्था ये विरजू महाराज खोजते थे ।
प्रश्न 9. कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर क्या प्रभाव पड़ा ?
उत्तर- कलकत्ते के दर्शकों की प्रशंसा का बिरजू महाराज के नर्तक जीवन पर यही प्रभाव पड़ा कि तमाम अखबारों में इनकी प्रसंसा छपी थी । सभी मौजूद डांसर ने कहा कि यह का कर ही डाला है । यहाँ से उनके जीवन में नया मोड़ आया । हरिदास स्वामी कांफ्रेंस बंबई व्रजनारायण ने बुलाया । वहाँ भी इनका प्रोगाम अच्छा था । अतः इस प्रकार ईश्वर की कृपा से कलकता , बम्बई , मद्रास , भारतीय कला केन्द्र में प्रोग्राम हुआ । धीरे – धीरे लोग इन्हें जानने लगे । इसके बाद इन्होंने खूब मेहनत एवं रियाज किया । एक दिन ये काफी लोकप्रिय हुए जिसके कारण दुनिया भर के अलग – अलग हिस्टॉरिकल और फिर विदेशी दूर शुरू हो गए । इस तरह से ये जीवन में आगे बढ़ते चले गए ।
प्रश्न 10. संगीत भारती में बिरजू महाराज की दिनचर्या क्या थी ?
उत्तर – संगीत भारती में बिरजू महाराज का दिनचर्या इस प्रकार से था । सुबह रोज चार बजे उठना , नागा नहीं करना है चाहे बुखार चढ़ा हो या खांसी आ रही हो । सुबह पाँच बजे से रियाज लगभग आठ बजे तक होती थी । और फिर एक घंटे में वे तैयार होकर वापस नौ बजे दो घंटे की क्लास में रहते । कभी – कभी रिलेक्स होने के लिए वे गिटार , सितार तथा हारमोनियम भी बजा लेते थे ।
प्रश्न 11. बिरजू महाराज कौन – कौन से वाद्य बजाते थे ?
उत्तर – बिरजु महाराज , गिटार , हारमोनियम तथा तबला अच्छा बजाते थे ।
प्रश्न 12. अपने विवाह के बारे में बिरजू महाराज क्या बताते हैं ?
उत्तर – अठारह वर्ष की उम्र में उनकी अम्मा जी ने शादी कर दी । इस घटना को उन्होंने बहुत बड़ी गलती मानी है । उनका कहना था कि पहले नौकरी या काम कर ले फिर शादी करें । अतः अम्मा जी की घबराहट के कारण तथा पिता जी की मृत्यु का रोग ही शादी का कारण था । मेरे लिए बहुत नुकसानदेह रहा । इस प्रकार इनके ऊपर एक और जिम्मेदारी बढ़ गई थी । अतः बिरजू महाराज कहते हैं कि वह मेरे लिए बहुत नुकसानदेह रहा |
प्रश्न 13. बिरजू महाराज की अपने शागिर्दों के बारे में क्या राय है ?
उत्तर – बिरजू महाराज की एक खास आदत थी कि वे अपने बाबू जी के जैसे अपने शगिदाँ को पूर्ण रूप से मेहनत करके सिखाना और अच्छा बना देना होता था । ऐसा बना देना की लगे वे अपने बेटे तथा शागिर्द के बीच कोई भेद नहीं रखते थे । कि वह खुद हैं । मतलब कोशिश यही रहती है कि बिरजू महाराज कोई चीज नहीं चुराते थे ।
प्रश्न 14 , व्याख्या करें –
( क ) पाँच सौ रुपए देकर मैंने गण्डा बँधवाया । सिखाना है ।
( ख ) मैं कोई चीज चुराता नहीं हूँ कि अपने बेटे के लिए ये रखना है ,
( ग ) मैं तो बेचारा उसका असिस्टेंट हूँ । उस नाचने वाले का ।
उत्तर- ( क ) एक बार जब बिरजू महाराज के बाबूजी ने उन्हें गण्डा बांधा था तब उन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में 500 रुपये माँगे थे जिसे उन्होंने दो प्रोग्राम में मिले रुपये से अदा किया अपने बीच इस परम्परा का निर्वाह किया । था । एक तरह से यहाँ गुरु और शिष्य की परम्परा देखने को मिलती है जिसे अपने बाबू जी और | अपने बीच इस परम्परा का निर्वाह किया l
( ख ) यहाँ बिरजू महाराज बताते हैं कि वे कभी भी अपने शागिर्द एवं अपने बेटे में अंतर नहीं करते । वे हमेशा ही सबों को पूर्ण रूप से मेहनत करके सिखाना चाहते हैं । सभी को अपने जैसा बनाने की कोशिश होती है । अतः वे कोई चीज नहीं चुराते अपने बेटे के लिए की उसको सिखाना है । यहाँ वे सबों को एक ही रूप में तालीम देते नजर आते हैं ।
( ग ) यहाँ उन्होंने अपनी कला को अपने आप से भी बड़ा माना है । वे नृत्य को एक अलग रूप में रखते थे । उन्हें एक आदर के रूप में देखते थे तथा अपने आप को उसका असिस्टेंट मानते थे । क्योंकि वे इसी कला की वजह से इतना आगे बढ़ सके हैं । अतः एक बार बिरजू महाराज के आशिक उनके पास आए थे । वह लड़का उनके नृत्य का आशिक था । वह लड़का उनके साथ एक फोटो खिंचवाना चाहता था । इसी बीच उन्होंने कहा कि मैं तो बेचारा उसका असिस्टेंट हूँ । उस नाचने वाला का ।
प्रश्न 15 , बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज किसको मानते थे ?
उत्तर – बिरजू महाराज अपना सबसे बड़ा जज अम्मा को मानते थे ।
प्रश्न 16. पुराने और आज के नर्तकों के बीच बिरजू महाराज क्या फर्क पाते हैं ?
उत्तर – पुराने जो नर्तक होते थे उन्हें उस महफिल में नाचना होता था जहाँ चारों ओर भीड़ रहती थी , खुद जगह बनानी पड़ती थी , नीचे गलीचा गलीचे पर चांदनी और चांदनी गलीचे के नीचे जमीन पर गड्ढ़े , कहीं खांचा हुआ करते थे । गैस लाइट की गर्मी तथा उसकी रौशनी में नाचना तथा नाचते हुए अपने हाथों से उसे बचाना भी पड़ता था । गर्मी में हालत खराब हो जाती थी । वही आजकल के नर्तक या डांसर स्टेज खराब है , बहुत टेढ़ा है , बड़ा गड्ढ़ा है का रोना रोते हैं । उनके लिए एयर कंडीशन का रूम होता है तथा बहुत सारी सुविधाएँ उन्हें मिलती है । यही पुराने और आज के नर्तकों के विरजू महाराज फर्क मानते हैं|