भारत से हम क्या सीखें

भारत से हम क्या सीखें

प्रश्न 1. समस्त भूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत लेखक ने ऐसा क्यों कहा है ?

उत्तर- समस्त धूमंडल में सर्वविद् सम्पदा और प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण देश भारत है । लेखक ने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि भूतल पर स्वर्ग भारत में है । यहाँ वनस्पति विज्ञान , भू विज्ञान पुरात्व , पुराने सिक्कों , दैवत विज्ञान , नीति कथा , दन्त कथा , भाषा विज्ञान , विधि शास्त्र , राजनीति शास्त्र , धर्म का विकास , इतिहास एवं भारतीय साहित्य का एक अनोखा स्वरूप भारत में है । ऐसा स्वरूप शायद अन्य देश में एक साथ पायी जाती हो ।

 प्रश्न 2. लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन कहाँ हो सकते हैं और क्यों ?

उत्तर – लेखक की दृष्टि में सच्चे भारत के दर्शन भारत की गाँव में हो सकती है । क्योंकि भारत में नागरिक ग्रामवासियों को सच्चे अर्थ में दर्शन को ही लेखक ने माना है ।

 प्रश्न 3. भारत को पहचान सकने वाली दृष्टि की आवश्यकता किनके लिए वांछनीय है और क्यों ?

 उत्तर – लेखक यूरोपियन लोगों के बारे में कहते हैं क्योंकि भारत के दर्शन गाँवों में हो सकती है । भारत आज भी अनेक समस्याओं से भरपूर है , केवल पहचान सकनेवाली दृष्टि की आवश्यकता है ।

 प्रश्न 4. लेखक ने किन विशेष क्षेत्रों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ?

उत्तर – लेखक ने वनस्पति विज्ञान , भू विज्ञान पुरात्व , दैवत विज्ञान , नीतिकथा , दन्त कथा , भाषा विज्ञान , विधि शास्त्र , राजनीति शास्त्र , धर्म शास्त्र , इतिहास एवं साहित्यों में अभिरुचि रखने वालों के लिए भारत का प्रत्यक्ष ज्ञान आवश्यक बताया है ।

प्रश्न 5. लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित किस दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना का हवाला दिया है और क्यों ?

उत्तर – जब वारेन हेस्टिंग्स भारत का गवर्नर जनरल था तो वाराणसी के पास 172 दारिस नामक सोने के सिक्कों से भरा एक घड़ा मिला था । वारेन हेस्टिंग्स ने अपने मालिक ईस्ट इण्डिया कम्पनी के निदेशक मंडल की सेवा में सोने के सिक्के समझकर भिजवा दिये जिससे वह अपने मालिकों की दृष्टि में एक उदार व्यक्ति प्रमाणित हो सके । किन्तु उन दुर्लभ प्राचीन स्वर्ण मुद्राओं को कम्पनी के निदेशक ने उसका ऐतिहासिक महत्व नहीं समझते हुए उन मुद्राओं को गला डाला । ह दुर्भाग्यपूर्ण घटना लेखक ने वारेन हेस्टिंग्स से संबंधित बताया ।

 प्रश्न 6. लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में किस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है ?

उत्तर- लेखक ने नीतिकथाओं के क्षेत्र में भारत के कारण नवजीवन का संचार हो चुका क्योंकि भारत के कारण ही समय – समय पर नानाविध साधनों और मार्गों के द्वारा अनेक कथाएँ पूर्व से पश्चिम की ओर आती रही है । हमारे यहाँ भी प्रचलित कहावतों और दन्तकथाओं का प्रमुख स्रोत अब बौद्ध धर्म को माना जाने लगा है । किन्तु यहाँ भी अनेक समस्याएं हैं जो समाधान के लिए प्रतीक्षा कर रही है । उदाहरण के लिए ‘ शेर की खाल में गधा की कहावत । यह कहावत यूनान के प्रसिद्ध एवं प्राचीनतम दार्शनिक प्लेटो के कटिलस में मिलती है तो क्या यह कहावत पूर्व से उधार ली गई थी । इसी प्रकार हम न्योले या चूहे से सम्बद्ध उस नीति कथा को भी ले सकते हैं जिसे एकोडाइट ने एक सुन्दरी के रूप में परिवर्तित कर दिया था । यह भी संस्कृत की एक कथा से सर्वाश में मिलती – जुलती एक कहानी है । प्रश्न है यह कहानी यूनान में कैसे पहुंची और यहाँ ईसा पूर्व चौथी सदी में ही स्टूटिस की कहानियों में स्थान कैसे पा गयी ? इस क्षेत्र में अभी बहुत काम करना होगा । इस तरह भारतीय अवदान को रेखांकित किया है ।

प्रश्न 7. भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध के प्राचीन प्रमाण लेखक ने क्या दिखाए हैं ?

 उत्तर- सोलोमन के समय में ही भारत , सीरिया और फिलीपीन के मध्य आवागमन के साधन सुलभ हो चुके थे । संस्कृत शब्दों के आधार पर हाथी दाँत , बन्दर , मोर , चंदन आदि जिन वस्तुओं के ओफिर से निर्यात की बात बाइबिल में कही गई है , वे वस्तुएँ भारत के सिवा किसी अन्य देश से नहीं लाई जा सकती । इसके साथ भारत तथा फारस की खाड़ी और ताल सागर व भूमध्य सागर के बीच व्यापारिक सम्बन्ध ठप्प होने का कारण भी स्पष्ट नहीं है । शहनामा के रचनाकाल ( दसवीं – ग्यारहवी सदी ) में भी ( भारत के साथ यूरोप के ये व्यापारिक सम्बन्ध ) बन्द नहीं हुए थे । इस प्रकार भारत के साथ यूरोप के व्यापारिक संबंध प्राचीन प्रमाण लेखक ने दिखाए हैं ।

 प्रश्न 8. भारत की ग्राम पंचायतों को किस अर्थ में और किनके लिए लेखक ने महत्त्वपूर्ण बतलाया है ? स्पष्ट करें ।

उत्तर भारत में ग्राम पंचायत के रूप का प्रत्यक्ष दर्शन सुयोग मिल जाता है । भारत में प्राचीन स्थानीय शासन प्रणाली या ग्राम पंचायत प्रथा को समझने – समझाने का बहुत बड़ा क्षेत्र विद्यमान है और वैसे लोगों के लिए महत्वपूर्ण है जो अत्यंत सरल राजनैतिक इकाइयों के निर्माण और विकास से सम्बद्ध प्राचीन युग के कानून के पुरातन रूपों के बारे में इघर जो अनुसंधान हुए हैं , उनके महत्व और वैशिष्ट्य को परख सकने की क्षमता प्राप्त करने वालों के लिए भारतीय ग्राम पंचायत को जानना महत्वपूर्ण बताया है ।

प्रश्न 9. धर्मों की दृष्टि से भारत का क्या महत्त्व है ?

 उत्तर भारत में धर्म के वास्तविक उद्भव उसके प्राकृतिक विकास तथा उसके अपरिहार्य क्षीयमाण रूप का प्रत्यक्ष परिचय मिल सकता है । भारत ब्राह्मण या वैदिक धर्म की भूमि है , बौद्ध धर्म की यह जन्मभूमि है , पारसियों के जरथ्रस धर्म की यह शरणस्थली है । आज भी यहाँ नित्य नये मत – मतान्तर प्रकट व विकसित होते हैं । इन्हीं कारणों से घर्मों की दृष्टि से भारत का महत्व है ।

प्रश्न 10. भारत किस तरह अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ता है ? स्पष्ट करें ।

उत्तर भारत में अतीत और सुदूर भविष्य को इस प्रकार से जोड़ती नजर आती है भारत में ऐसे सुअवसर मिलेंगे जो किसी पुरातन विश्व में ही सुलभ हो सकते हैं । आज हम किसी भी ज्वलंत समस्या को लेते हैं चाहे वह समस्या लोकप्रिय शिक्षा से सम्बद्ध हो , या उच्च शिक्षा , चाहे संसद में प्रतिनिधित्व की बात हो अथवा कानून बनाने की बात हो , चाहे प्रवास सम्बन्धी कानून हो अथवा अन्य कोई कानूनी मसला , सीखने या सिखाने योग्य कोई बात क्यों न हो , भारत के रूप में एक ऐसी प्रयोगशाला मिलेगी जैसी विश्व में अन्यत्र कहीं नहीं मिलती । संस्कृत भाषा द्वारा | चिन्तन की ऐसी गम्भीर धारा में अवगाहन का अवसर मिलेगा जो अभी तक हमारे लिए अज्ञात थी । अतः इस प्रकार से ये सभी भारत के अतीत और सुदूर भविष्य को जोड़ती नजर आती है ।

प्रश्न 11. मैक्समूलर ने संस्कृत की कौन – सी विशेषताएँ और महत्त्व बतलाये हैं ?

उत्तर- संस्कृत की सबसे पहली विशेषता है इसकी प्राचीनता , क्योंकि प्रौक भाषा से भी संस्कृत का काल पुराना है । जिस रूप में आज यह हम तक पहुँची है , उसमें भी अत्यन्त प्राचीन तत्व भली – भांति सुरक्षित है । ग्रीक और लैटिन भाषाओं में कुछ न कुछ साम्य अवश्य है । किसी लैटिन शब्द के रहस्यों को खोलने के लिए ग्रीक का सहारा लेना पड़ता था । किन्तु इन भाषाओं में इतनी अधिक समानता कैसे आ गई । इसके साथ इनमें समानताओं के साथ ही इतना अधिक अन्तर आ गया , यह रहस्य ही बना है । किंतु ज्यू ही इन भाषाओं के बीच में संस्कृत आ बैठी कि तत्काल लोगों को एक ही प्रकाश और गर्मी का अहसास होने लगा , और इसी से भाषाओं का पारस्परिक सम्बन्ध भी स्पष्ट हो गया । निश्चित ही संस्कृत इन सब भाषाओं की अग्रजा है । अतः इस प्रकार भाषाओं में संस्कृत का महत्व पाया जाता है ।

प्रश्न 12. लेखक वास्तविक इतिहास किसे मानता है और क्यों ?

उत्तर- लेखक वास्तविक अर्थों में संस्कृत भाषा को ही माना है क्योंकि यह एक ऐसा इतिहास है जो राज्यों के दुराचारों और अनेक जातियों की क्रूरताओं की अपेक्षा कहीं अधिक ज्ञातव्य और पठनीय है ।

 प्रश्न 13. संस्कृत और दूसरी भारतीय भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत् को प्रमुख लाभ क्या – क्या हुए ?

 उत्तर- संस्कृत और दूसरी भाषाओं के अध्ययन से पाश्चात्य जगत का प्रमुख लाभ निम्न है ।                 (i) इससे मानव जाति के बारे में हमारे विचार व्यापक और उदार हो गए ।                               (ii) इसने मानव जाति के सम्पूर्ण इतिहास को वास्तविक रूप में प्रकट कर दिया ।                            (iii) इससे लाखों – करोड़ों अजनबियों तथा बर्बर जाने वाले लोगों को भी अपना ही परिवार समझा जाने लगा ।                                                                                              (iv) भाषा विज्ञान के द्वारा हमने अवतक जो निष्कर्ष निकाले हैं वे संस्कृत की सहायता से ही प्राप्त हुआ है ।                                                                                                       (v) पूर्व जगत को पहचान लेने से प्रत्येक व्यक्ति को इतिहास की वास्तविक शिक्षा का लाभ हुआ है ।           (vi) इस भाषा के द्वारा आज यूरोपवासियों की धारणाएँ बदल गयी हैं ।

प्रश्न 14. लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को किसकी तरह सपने देखने के लिए प्रेरित किया है और क्यों ?

 उत्तर – लेखक ने भारत के लिए नवागंतुक अधिकारियों को सर विलियम जोन्स के शब्दों या कथनों के आधार पर सपने देखने चाहिए । एशिया के सुविस्तीर्ण क्षेत्रों के चारों ओर से घिरी ऐसी श्रेष्ठ रंगभूमि के मध्य अपने आपको पाकर सर जोंस को आनंद का अनुभव अनिर्वचनीय है । यह भूमि नानाविध ज्ञान – विज्ञान की धात्री , आनंददायक ललित तथा उपयोगी कलाओं की जननी , मानव प्रतिभा के उत्पादन के लिए अत्यन्त उर्वर क्षेत्र तथा धर्म , राज्य सरकार , कानून या विधि – संहिता रीति – रिवाज , परम्पराओं , भाषा लोगों के रंग – रूप और आकार – प्रकार आदि की दृष्टि से अपनी अत्यधिक विविधता के कारण सदा से सर्वत्र सम्मान की दृष्टि से देखी जाती रही है । इन जैसे स्वप्नदर्शी ही यह समझ सकते हैं कि अपने स्वप्नों को साकार और अपनी कल्पनाओं को वास्तविक में परिणत कर सपनों की तरह देखने को प्रेरित करते हैं । क्योंकि जो स्थिति आज | से सौ वर्ष पहले थी , आज भी वैसे ही है । इसलिए सुनहरे सपने नवागंतुक अधिकारी देख सकते हैं । साथ ही भारत में एक शानदार काम भी कर सकते हैं ।

प्रश्न 15. लेखक ने नया सिकंदर किसे कहा है ? ऐसा कहना क्या उचित है ? लेखक का अभिप्राय स्पष्ट कीजिए ।

 उत्तर – लेखक ने नवागंतुक को नया सिकंदर कहा है । ऐसा कहना उचित है क्योंकि जब हम गंगा और सिन्ध के पुराने मैदानों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे तब भारत का सारा इतिहास स्त्रोत यहाँ उपलव्य मिलेगा । शेष भारत में बिल्कुल एक ही संस्कृति थी , एक भाषा थी अतः इसलिए लेखक ने कहा कि यद्यपि सर विलियम जोन्स ने कलकत्ता पहुँचने के बाद से अब तक प्राच्य देशों के इतिहास और साहित्य के क्षेत्र में एक से बढ़कर एक शानदार बड़ी – बड़ी अनेक विजय प्राप्त की है । तथापि किसी नए सिकन्दर को यह सोचकर निराशा नहीं हो जाना चाहिए । कि गंगा और सिन्ध के पुराने मैदानों में अब उसके लिए विजय करने को कुछ भी शेष नहीं रहा ।

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