विष के दांत
प्रश्न 1. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर- इस कहानी में सेन साहब की बेटियाँ जहाँ तहजीव और मूरत है । वहाँ उनके लिए हर तालीम को देना माँ – बाप अपना व्यथे । रिश्तेदारों में इनकी चर्चाएँ आम होती रहती थी । पर वहीं दूसरी और उनके वंश का बारिश ठौक इन सबसे विपरीत था । काशू नाम था । इसके लिए कोई नियम नहीं थे । माँ – बाप की बिगड़ी हुई औलाद था । इसी कारण से उसे आसपास के लड़कों से लड़ाई होती रहती थी । एक दिन सेन साहब और उनके नौकर के बेटे के बीच लड़ाई हुई । इसमें सेन साहब ने अपने नौकर को खूब धमकाया डराया । जबकि खोखा की गलती हो रहती थी । दूसरी बार लट्टू खेलने के सिलसिले में खोखा और उस नौकर के बेटे मदन के बीच जमकर लड़ाई हुई जिसमें खोखा के दो दाँत टूट गए । इस कारण मदन के पिता की नौकरी चली गई परन्तु उसे यह गम नहीं था बल्कि एक खुशी थी कि उसके बेटे ने उस खोखा के विषैले दाँत तोड़ दिए । इस तरह यहाँ खांखा के दाँत को विष के दाँत के रूप में प्रदर्शित किया गया है । अतः यह नाम सार्थक है ।
प्रश्न 2. सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन – पोषण में किए जा रहे लिंग आधारित भेद – भाव का अपने शब्दों में वर्णन कीजिए ।
उत्तर – सेन साहब के परिवार में बच्चों के पालन – पोषण में किए गए लिंग भेद – भाव इस प्रकार है कि वे अपने पाँचों लड़कियों को हमेशा तालीम देते रहते थे क्या – क्या नहीं करना चाहिए , क्या करना चाहिए । तालीम की जीती जागती कठपुतलियाँ थीं । वे दौड़ती एवं खेलती भी है लेकिन सिर्फ शाम के वक्त , सोसाइटी की तारिकाएँ भी उनके रोम – रोम में बसा हुआ था । वहीं उनका बेटा ठीक इसके विपरीत था । उसे खेलने , कूदने , रहने की कोई तालीम नहीं दी गई थी । क्योंकि वह सेन साहब का इकलौता बेटा जो था किसी की जोड़कर देखना कहीं भी कुछ सामान बिगाड़ देना इसको आदत थी । इन सभी चीजों को सेन साहब बेटे का गुण समझकर खुरा होते थे । इस प्रकार लिंग भेद पर मेन साहब का पालन – पोषण था ।
प्रश्न 3. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
उत्तर – खोखा जीवन के नियम का अपवाद था क्योंकि हकीकत में खोखा का आविर्भाव तब हुआ जब सेन साहब को कोई उम्मीद बाकी नहीं रह गई थी । वहीं दूसरी ओर यह घर के नियमों का भी अपवाद था , क्योंकि इससे मोटर को खतरा रहता था । इसके अलावा इसका रहना , खेलना तथा घर का सामान तोड़ना भी अपवाद में था ।
प्रश्न 4. सेन दंपत्ति खोखा में कैसी संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं के लिए उन्होंने उसकी कैसी शिक्षा तय की थी ?
उत्तर – सेन दंपत्ति खोखा में इंजीनियर बनने की संभावनाएँ देखते थे और उन संभावनाओं वैसी दी जा रही थी । खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार के लिए उन्होंने उसकी ट्रेनिंग हो सेनों ने सिद्धान्तों को भी बदल लिया था । इसके लिए सेन साहब ने घर में ही कारखाने का बढ़ई मिस्त्री को दो – एक घंटे के लिए बुलाकर उसे सीखाने का इंतजाम किया था । इस तरह से उसकी शिक्षा घर पर ही तय थी ।
प्रश्न 5. सप्रसंग व्याख्या कीजिए-
(क) लड़कियाँ क्या हैं , कठपुतलियाँ हैं और उनके माता – पिता को इस बात का गर्व है ।
(ख) खोखा के दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धांतों को भी बदल लिया था ।
(ग) ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे , चोर और डाकू बनते हैं ।
(घ) हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया ।
उत्तर- ( क ) सेन साहब को पाँच लड़कियाँ थी और एक लड़का । सेन साहब ने लिंग के अनुसार तहजीब और तमीज का बंटवारा किया था । लड़कियों को क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए इसको तालीम दी गई थी । वे लड़कियाँ तहजीब और तमीज की जीती – जागती मूरत थी । अतः ये लड़कियाँ क्या है , कठपुतलियाँ हैं और उनके माता – पिता को इस बात का गर्व था ।
(ख) खोखा सेन साहब का बेटा है जिसे इंजीनियर होना है । इसमें लक्षण दिखाई पड़ते थे । इसलिए ट्रेनिंग भी उसे वैसी ही दी जा रही थी । घर में ही कारखानें का बढ़ई मिस्त्री को दो – एक घंटे के लिए बुलाकर उसे ट्रेनिंग दिलावाते थे । अतः खोखा के इंजीनियर जैसा दुर्ललित स्वभाव के अनुसार ही सेनों ने सिद्धान्तों को बदल लिया था ।
(ग) सेन साहब को अपने गाडी पर नाज था । कोई इसे गंदा या छेड़छाड़ करे उन्हें पसंद नहीं था । एक बार गिरधारी लाल के बेटे मदन ने सेन साहब की गाड़ी छू कर गंदी कर दी तथा ड्राइवर द्वारा मना किए जाने पर वह उसे मारने दौड़ता है । अतः ये सब सेन साहब ने गिरधारी लाल को बताकर चेताया था । साथ उन्होंने ये भी कहा ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे , चोर और डाकू बनते हैं ।
(घ) शाम के वक्त काशू खेलता – कूदता बंगले के अहाते की बगलवाली गली में जा निकला । वहाँ धूल में मदन पड़ोसियों के आवारागर्द छोकरों के साथ लट्टू नचा रहा था । अतः यहाँ खोखा ने देखा तो उसकी तबीयत भी लट्टू नचाने की हुई । इस प्रकार खोखा यहाँ हंस के रूप में कौआ की जमात में शामिल होने के लिए ललक गया ।
प्रश्न 6. सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई और पत्रकार मित्र ने उन्हें किस तरह उत्तर दिया ?
उत्तर – सेन साहब के और उनके मित्रों के बीच सेन साहब के बेटे की स्कूली शिक्षा पर बातचीत हुई और पत्रकार से उनके अपने बच्चे के विषय पर सवाल किया गया तब पत्रकार नं जवाब दिया कि ‘ मैं चाहता हूँ कि वह जॉटलमैन ‘ जरूर बने और जो कुछ बने , उसका काम है , उसे पूरी आजादी रहेगी ।
प्रश्न 7. मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहता है ?
उत्तर- मदन और ड्राइवर के बीच के विवाद के द्वारा कहानीकार यही बताना चाहता है कि महत और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं , पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनको मदद अपने ही खिलाफ करते हैं ।
प्रश्न 8. काशू और मदन के बीच झगड़े का कारण क्या था ?
इस प्रसंग के द्वारा लेखक क्या दिखाना चाहता है ? उत्तर – काशू और मदन के बीच लट्टू नचाने को लेकर झगड़े हुए थे । इस लड़ाई में लेखक यही दिखाना चाहता था कि यह लड़ाई हड्डी और मांस की , बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी । अहाते में यही लड़ाई हुई रहती , तो काशू शेर हो जाता । बच्चों में इतनी अक्ल नहीं होती कि वह किसी से मदद ले या मालिक के लाडले को न मारे । बच्चे मानसिक रूप से छोटे बड़े नहीं होते हैं ।
प्रश्न 9. ‘ महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में अक्सर महल वाले ही जीतते हैं , पर उसी हालत में जब दूसरे झोपड़ी वाले उनकी मदद अपने ही खिलाफ करते हैं । ‘ लेखक के इस कथन को कहानी से एक उदाहरण देकर पुष्ट कीजिए ।
उत्तर – ‘ विष के दाँत ‘ शीर्षक कहानी में सेन साहिब का लड़का काशू महल में रहनेवाला है और गिरघर लाल का बेटा मदन झोपड़ी में रहनेवाला है । दोनों के बीच जब झगड़ा होता है । तो कारा मदन से बुरी तरह पिटकर भाग खड़ा होता है । बाकी सभी लड़के तमाशबीन रहते हैं । इस प्रकार महलवाले की हार और झोपड़ी वाले की जीत होती है , जबकि अक्सर ऐसा होता है कि झोपड़ी वालों की मदद ले महल वाले ही जीतते हैं । इस प्रकार स्पष्ट है कि महल और झोपड़ी वालों की लड़ाई में महल वाले को जीत तभी होती है जब झोपड़ी वाले अपने ही लोगों के खिलाफ उनकी मदद करते हैं ।
प्रश्न 10. रोज – रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरघर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दंडित करने की बजाय अपनी छाती से क्यों लगा लेता है ?
उत्तर – रोज रोज अपने बेटे मदन की पिटाई करने वाला गिरघर मदन द्वारा काशू की पिटाई करने पर उसे दॉडत करने के बजाय अपनी छाती से इसलिए लगाया क्योंकि मदन ने काशू के विष के दो दांत तोड़े थे ।
प्रश्न 11. सेन साहब , मदन , काशू और गिरधर का चरित्र चित्रण करें ।
उत्तर – सेन साहब- जो अपनी अमीरी का रौब तथा अपनी कार को अपनी शान समझते हैं । लिंग भेद करने वाले प्राणियों में से एक थे । अपनी बेटी के लिए अलग तालीम एवं बंदिशें , बीच फासलों को और बढ़ाते हुए नजर आते हैं । के लिए सारे नियम अपवाद हो जाते । वहीं दूसरी तरफ सेन साहब मालिक और नौकर के बीच फासलों को और बढ़ाते हुए नजर आते हैं
मदन जो गिरधारी लाल का लड़का था । जिसे अमीर – गरीब में कोई अंतर नहीं मालूम था । लेकिन अपने मालिक के द्वारा चोर , डाकू और गुण्डे की दी गई उपाधि को वह यहाँ निर्वाहन करते नजर आता है । वह हमेशा मालिक और नौकर के बीच पीसता हुआ नजर आता है । उसे अपने मालिक बेटे से हमेशा लड़ाई होते रहती थी । एक दिन उसने उसके दो दाँत तोड़कर इस मालिक और नौकर के बीच के फासले को खत्म कर दिया था ।
सेन- दंपति का इकलौता बेटा था जिसमें इंजीनियर बनने का लक्षण इसके चाल – चलन से प्रतीत होता था । इसके लिए सारे घर के नियम अपवाद में हुआ करते थे । काशू की पढ़ाई – लिखाई घर में ही होती थी । इस दुर्लिलत स्वभाव के कारण सेन साहब को इस पर गर्व था । काशू की एक आदत थी कि वह हर घर के सामान को खोलकर तोड़कर या उसे बिगाड़ देना चाहता है । ये ही उसके इंजीनियर बनने का लक्षण था । वह एक माँ – बाप का बिगड़ा हुआ बेटा है जिसमें कोई संस्कार मौजूद नहीं है ।
गिरधर लाल सेन साहब के फैक्टरी में किरानी था । वह हमेशा ही अपने मालिक के द्वारा अपने बेटे की हरकत की वजह से बात सुननी पड़ती तथा नौकरी से निकालने की धमकी मिलती । वह अपने बेटे को बहुत प्यार करता था परन्तु इस नौकरी की वजह से वह अपने बेटे को शिकायत मिलने पर बहुत मारता भी था । यहाँ गिरधर गरीबी की गुलामी या लाचारी से निर्वहन करता नजर आता है । एक दिन वह इस गुलामी से मुक्त होकर वह अपने बेटे को सम्मान और प्यार देता नजर आता है क्योंकि उसके बेटे ने आज उसके घमंडी मालिक के बेटे का दाँत तोड़ दिया था जो विष के दाँत जैसा प्रतीत होता था ।
प्रश्न 12. आपकी दृष्टि में कहानी का नायक कौन है ?
तर्कपूर्ण उत्तर दें । उत्तर – हमारी नजर में मदन इस कहानी का नायक है । इस कहानी में वह एक गरीब – लाचार माँ – बाप का बेटा है जिसे वह नहीं समझता । बेचारा हर बार अपने मालिक के बेटे की वजह से अपने पिता द्वारा पीटा जाता । उसे मार खाने की आदत सी पड़ गई थी । एक बार सेन साहब के बेटे काशू के दो दाँत झगड़ा के दौरान मदन ने तोड़ डाले जिसके कारण उसके पिता को नौकरी से निकाल दिया गया । लेकिन पिताजी ने इसके कारण बने बेटे को पीटने के बजाय उसे प्यार करते हैं । क्योंकि आज मदन ने वह कर दिया जो उसके पिता ने हमेशा अमीरों के खिलाफ आवाज या विद्रोह की आवाज उठाने की कोशिश करते । यहाँ मदन अपने मालिक के गुलामी से आजादी की लड़ाई लड़ता नजर आता है ।
प्रश्न 13. आरंभ से ही कहानीकार का स्वर व्यंग्यपूर्ण है । ऐसे कुछ प्रमाण उपस्थित करें ।
उत्तर – सेन साहब की गाड़ी पर नाज थी । काली चमकती हुई जैसे कोयल घोंसले में कव उड़ जाए । काले रंग , चमक ऐसी कि अपना मुँह देख लो । कहीं पर एक धव्वा दिख जाए तो क्लीनर और शोफर की शामत समझो । इनकी पाँचों लड़कियाँ तहजीव और तमीज की जीतो जागती मूरत है । खोखा जीवन के नियम का अपवाद था तथा घर के नियमों में भी वह अपवाद था । एक बार खोखा ने लट्टू देखा तो उसकी तबीयत मचल गई । फिर वह आवारा छोकड़ो में शामिल होने की कोशिश करता जैसे हंस कौओं की जमात में शामिल होने के लिए ललक रहा हो । इसी लट्टू खेलने के सिलसिले में काशू और मदन के बीच लड़ाई शुरू हो गई । ये लड़ाई हड्डी और मांस की , बंगले के पिल्ले और गली के कुत्ते की लड़ाई थी । कुछ ऐसे ही प्रमाण इस कहानी में मिलते हैं जो व्यंग्यपूर्ण हैं ।