लोकतंत्र की उपलब्धियाँ
प्रश्न 1. लोकतंत्र किस तरह उत्तरदायी एवं वैघ सरकार का गठन करता है ?
उत्तर- लोकतंत्र किस प्रकार लोगों के प्रति उत्तरदायी है और किस हद तक वैध है इसकी जाँच के लिए निम्न तथ्यों को देखा जा सकता है : ( i ) क्या लोकतंत्र में लोगों को चुनावों में भाग लेने और अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार है ? ( ii ) क्या चुनी हुई सरकार लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने में प्रभावी हो पाती है ? ( iii ) क्या सरकार द्वारा फ़ैसले शीघ्र लिए जाते हैं और फैसले कितने जनकल्याणकारी होते हैं ? उपर्युक्त सवालों के संदर्भ में लोकतंत्र का यदि मूल्यांकन करें तो हम देखते हैं कि लोग चुनावों में भाग लेते हैं । अपने प्रतिनिधियों को चुनने का कार्य करते हैं किंतु वह देखा जाता है । कि आर्थिक एवं सामाजिक दृष्टि से मजबूत लोगों का दबदबा रहता है । बावजूद इसके कि में जागरूकता की वृद्धि एवं व्यापक प्रतिरोध से लगातार सुधार की संभावना बनी रहती है । बढ़ – चढ़कर उपयोग कर रहे हैं । यो भारतीय लोकतंत्र के ढांचागत स्वरूप में कोई बुनियाद उल्लेखनीय है कि शिक्षा के व्यापक प्रचार – प्रसार के कारण आज लोग अपने मताधिकार के शासन क परिवर्तन नहीं हुआ है किंतु लोगों का लोकतंत्र के प्रति आस्था बढ़ा है । आज लोग सिर्फ मताधिका म का ही प्रयोग नहीं कर रहे हैं । बल्कि सरकार की निर्णय प्रक्रिया में भी हस्तक्षेप कर रहे हैं । यह काफी कारण है कि सरकार को जनता के प्रति उत्तरदायी बनाना पड़ता है क्योंकि इसे जनता द्वारा नकारने 1 का खतरा बरकरार रहता है । पर जनप्रतिनिधियों के साथ – साथ आम जनता के बीच भी खुलकर चर्चाएँ होती हैं । लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव नियमित होते रहते हैं । सरकार जब कानून बनाती है तो उस इस प्रकार लोकतांत्रिक व्यवस्था थोड़ी बहुत कमियों के बावजूद एक सर्वोत्तम शासन व्यवस्था है । गैरलोकतांत्रिक व्यवस्था से तुलना के पश्चात् कोई संदेह नहीं कि लोकतांत्रिक सहायक बनता है ? व्यवस्था एक उत्तरदायी एवं वैध शासन व्यवस्था है ।
प्रश्न 2. लोकतंत्र किस प्रकार आर्थिक संवृद्धि एवं विकास में सहायक है |
उत्तर – लोकतांत्रिक देश आर्थिक संवृद्धि एवं विकास की दृष्टि से भी अग्रणी होते हैं । लेकिन जब हम लोकतांत्रिक शासन और तानाशाही शासन में आर्थिक खुशहाली और विकास को में क द्वारा विभिन्न देशों में आर्थिक विकास की दरें ( 1950-2000 ई ० ) विकास दर शासन का प्रकार और देश सभी लोकतांत्रिक शासन 3.95 प्रतिशत सभी तानाशाहियाँ 4.42 प्रतिशत तानाशाही वाले गरीब देश लोकतंत्र वाले गरीब देश 4.34 प्रतिशत 4.28 प्रतिशत उपर्युक्त आंकड़ों के अवलोकन से लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था से निराशा तो होती है । किंतु किसी देश का आर्थिक विकास उस देश की जनसंख्या , आर्थिक प्राथमिकताएँ , अन्य देशों से सहयोग के साथ – साथ वैश्विक स्थिति पर भी निर्भर करती है । लोकतांत्रिक शासन में विकास की दर में कमी के बावजूद लोकतांत्रिक व्यवस्था का चयन सर्वोत्तम होना चाहिए क्योंकि इसके अनेक सकारात्मक एवं विश्वसनीय फायदे हैं जिसका एहसास हमें धीरे – धीरे होता है , जो अन्ततः सुखद होता है ।
प्रश्न 3. लोकतंत्र किन स्थितियों में सामाजिक विषमताओं को पाटने में मददगार होता है और सामंजस्य के वातावरण का निर्माण करता है ?
उत्तर – समाज में विद्यमान अनेक सामाजिक विषमताओं , जिसे हमें विविधता के रूप में देख सकते हैं उनके बीच आपसी समझदारी एवं विश्वास को बढ़ाने में लोकतंत्र मददगार होता है । लोकतंत्र नागरिकों को शांतिपूर्ण जीवन जीने में सहायक होता है । लोकतंत्र विभिन्न जातियों एवं धर्मों के विभाजक कारकों के बीच वैमनस्य एवं भ्रांतियों को कम करने में सहायक हुआ है । साथ ही उनके बीच टकरावों को हिंसक एवं विस्फोटक बनने से रोका है । भारत में भी जातीय टकरावा एवं साम्प्रदायिक उन्मादों को व्यापक स्तर पर रोकने में लोकतंत्र सहायक हुआ है । इसमें कोई नहीं होती । अतिशयोक्ति नहीं है कि यदि लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था नहीं होती तो यह दुनिया रहने लायक लोकतंत्र लोगों के बीच एक – दूसरे के सामाजिक एवं सांस्कृतिक विविधताओं के प्रति सम्मान का भाव विकसित करता है । इस बात को दाबे के साथ कहा जा सकता है कि विभिन्न सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच संवाद एवं सामंजस्य के निर्माण में सिर्फ लोकतंत्र ही सफल रहा है । इसके अतिरिक्त नागरिकों की गरिमा एवं उनकी आजादी की दृष्टि से भी लोकतंत्र अन्य शासन व्यवस्था से आगे ही नहीं बल्कि सर्वोत्तम है । निष्कर्पत : हम कह सकते हैं कि सामाजिक विषमताओं एवं विविधताओं के बीच आपसी समझदारी एवं सामंजस्य के निर्माण में लोकतंत्र अन्य गैर लोकतान्त्रिक व्यवस्थाओं की तुलना में काफी आगे है जहाँ बातचीत की निरन्तर संभावना बनी रहती है ।
प्रश्न 4. लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं ने निम्नांकित किन मुद्दों पर सफलता पाई है ?
( क ) राजनीतिक असमानता को समाप्त कर दिया है ,
( ख ) लोगों के बीच टकरावों को समाप्त कर दिया है ।
( ग ) बहुमत समूह और अल्प समूह के साथ एस – सा व्यवहार करता है ।
( घ ) समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े लोगों के बीच आर्थिक पैमाना का कम कर
उत्तर – घ
प्रश्न 5. इनमें से कौन – सी एक बात लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं के अनुरूप नहीं है ?
( क ) कानून के समक्ष समानता
( ख ) स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव
( ग ) उत्तरदायी शासन व्यवस्था
( घ ) बहुसंख्यकों का शासन
उत्तर – घ
प्रश्न 6. लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक एवं सामाजिक असमानताओं के संदर्भ किया गया कौन – सा सर्वेक्षण सही और कौन गलत प्रतीत होता ( लिखें सत्य / असत्य )
( i ) लोकतंत्र और विकास साथ – साथ चलते हैं ।
(ii ) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में असमानताएँ बनीं रहती है ?
(iii ) तानाशाही में असमानताएँ नहीं होती ।
( iv ) तानाशाही व्यवस्थाएं लोकतंत्र से बेहतर सिद्ध हुई है ।
उत्तर ( i ) सत्य ( ii ) गलत ( iii ) सही ( iv ) गलत गलत है
प्रश्न 7. भारतीय लोकतंत्र की उपलब्धियों के संबंध में कौन – सा कथन सही अथवागलत है
( 1 ) आज लोग पहले से कहीं अधिक मताधिकार की उपादेयता को समझने लगे हैं ।
( ii ) शासन की दृष्टि से भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था ब्रिटिश काल के शासन बेहतर
( iii ) अभिवार्चित वर्ग के लोग चुनावों में उम्मीदवार नहीं हो सकते हैं ?
( iv) राजनीतिक दृष्टि से महिलाएँ पहले अधिक सत्ता में भागीदार बन रही है ।
उत्तर ( i ) सही ( ii ) गलत ( iii ) गलत ( iv ) सही
प्रश्न 8. भारत में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं ?
उत्तर भारत में लोकतंत्र की तमाम उपलब्धियों एवं परिणामों के परिप्रेक्ष्य में जब हम भारतीय लोकतंत्र का अवलोकन करते हैं तो हमारे मन में मिश्रित प्रतिक्रियाएँ होती हैं । निराशा भी होती है , लेकिन आशाएँ भी जगती है , हमारी निराशाएँ पहले इस रूप में प्रकट होती हैं कि भारत में लोकतंत्र है ही नहीं अथवा भारत लोकतंत्र के लिए उपयुक्त नहीं है । कभी – कभी ऐसी टिप्पणियाँ सुनने को मिलती हैं कि लोकतांत्रिक व्यवस्था तमाम शासन व्यवस्थाओं की तुलना असफल एवं पंगु है । स्वाभाविक है कि लोकतंत्र को कई प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है । कारण ऐसा लगने लगता है कि लोकतंत्र बेहतर नहीं है । तएव इसकी गति निश्चित तौर पर धीमी होती है । न्याय में विलम्ब , विकास दर की धीमी रफ्तार किंतु अन्य अलोकतांत्रिक लोकतंत्र का भविष्य उज्जवल है । भारतीय है तो लगता है कि लोकतंत्र के 60 वर्षों व्यवस्था की तुलना में लोकतांत्रिक व्यवस्था सर्वोत्तम है । भारत की अवधि के संदर्भ में देखते कालक्रम में हम काफी सफल रहे हैं । 15 वीं लोकसभा चुनाव 2009 के मूल्यांकन से पता चलता है कि भारत की जनता ने एक साथ पूरे देश में आपराधिक छवि के उम्मीदवारों को समूल खारिज कर दिया है । आज पूरी दुनिया में भारतीय लोकतंत्र की साख बढ़ी है और उसकी सफलता से अन्य लोकतांत्रिक देश लाभान्वित हो रहे हैं ।
प्रश्न 9. भारत में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है ?
उत्तर भारत में लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सर्वप्रथम जनता शिक्षित हो । शिक्षा ही उनके भीतर जागरूकता पैदा कर सकती है । यह सच्चाई है कि लोकतांत्रिक सरकारें बहुमत के आधार पर बनती हैं किंतु लोकतंत्र का अर्थ बहुमत की राय से चलने वाली व्यवस्था नहीं है बल्कि यहाँ अल्पमत की आकांक्षाओं पर ध्यान देना आवश्यक है । भारतीय लोकतंत्र की सफलता के लिए यह आवश्यक है कि सरकारें प्रत्येक नागरिक को यह अवसर अवश्य प्रदान करे ताकि वे किसी न किसी अवसर पर बहुमत का हिस्सा बन सकें । लोकतंत्र की सफलता के लिए यह भी आवश्यक है कि व्यक्ति के साथ – साथ विभिन्न लोकतांत्रिक संस्थाओं के अंदर आंतरिक लोकतंत्र हो । विडंबना है कि भारतवर्ष में नागरिकों के स्तर पर और खासतौर पर राजनीतिक दलों के अंदर आंतरिक विमर्श अथवा आंतरिक लोकतंत्र की स्वस्थ परम्परा का अभाव है । जाहिर है कि इसके दुष्परिणाम के तौर पर सत्ताधारी लोगों के चरित्र एवं व्यवहार गैर लोकतांत्रिक दीखेंगे और लोकतंत्र के प्रति हमारे विश्वास में कमी होगी । इसे हम अपनी सक्रिय भागीदारी एवं लोकतंत्र में अटूट विश्वास से दूर कर सकते हैं