10th political science subjective question सत्ता में साझेदारी की कार्य-प्रणाली

सत्ता में साझेदारी की कार्यप्रणाली

प्रश्न 1. संघ राज्य का अर्थ बताएँ ।

 उत्तर- कई बार कई स्वतंत्र और संप्रभु राज्य आपस में मिलकर सामान्य संप्रभुता का स्वीकार कर एक संघीय राज्य का गठन करते हैं । संयुक्त राज्य अमेरिका , स्विट्जरलैण्ड , इस तरह से गठित संघीय राज्य के उदाहरण हैं । अधिकार समान होते हैं । इस तरह से गठित संघीय व्यवस्था में राज्यों की स्वायत्तता या पहचान की भावना प्रबल होती है । अतः संघ में शामिल होने वाले राज्यों के उदाहरण है |

प्रश्न 2. संघीय शासन की दो विशेषताएँ बताएँ ।

 उत्तर- संघीय शासन की दो विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-                                                                                                   

   ( i ) सत्ता का विकेन्द्रीकरण                                                                                                                                                    

   ( ii ) सत्ता का संविधान द्वारा स्पष्ट बँटवारा  

प्रश्न 3 . सत्ता की साझेदारी से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर- सत्ता की साझेदारी से तात्पर्य देश में विद्यमान समुदायों को शासन में सहभागी बनाने से है । वैध शासन व्यवस्था वही है जिसमें सभी व्यक्ति अपनी भागीदारी के माध्यम से शासन सामाजिक विज्ञान- X व्यवस्था से जुड़ते हैं । लोकतान्त्रिक शासन व्यवस्था ही एक मात्र ऐसी शासन व्यवस्था है जिसमें ताकत सभी के हाथों में होती है , सभी को राजनीतिक शक्तियों में साझेदारी की व्यवस्था जाती है ।

 प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में क्या महत्त्व रखती है ?

उत्तर- लोकतंत्र विभिन्न सामाजिक समूहों , अभिव्यक्ति एवं पहचान देकर अपने आप सन्निहित करता है । जब जाति , धर्म , रंग , भाषा आदि पर आधारित मानव समूहों को उचित पहचान व सत्ता में भागीदारी नहीं मिलती है तो उनके असंतोष एवं टकराव से सामाजिक विभाजन राजनीतिक अस्थिरता , सांस्कृतिक टकराव एवं आर्थिक गतिरोध उत्पन्न होते हैं । लोकतंत्र में सत्ता की भागीदारी से उनके हितों एवं जरूरतों का सम्मान होता है । इससे विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव की संभावना क्षीण हो जाती है । अतः सत्ता में साझेदारी की व्यवस्था राजनीतिक समाज की एकता , अखण्डता एवं वैधता की पहली शर्त है ।

प्रश्न 5. सत्ता की साझेदारी के अलग – अलग तरीके क्या हैं ?

उत्तर – विभिन्न राजनीतिक दल सत्ता के लिए प्रतिस्पर्द्धा करते हैं । सत्ता बारी – बारी अलग – अलग विचारधाराओं और समूहों वाले राजनीतिक दलों के हाथों में आती रहती है । सत्ता की साझेदारी का सबसे अद्यतन रूप गठबंधन की राजनीति या गठबंधन की सरकारों में दिखता है जब विभिन्न विचार धाराओं , विभिन्न सामाजिक समूहों और विभिन्न क्षेत्रीय समूहों और स्थानीय हितों वाले राजनीतिक दल एक साथ एक समय में सरकार के एक स्तर पर सत्ता में साझेदारी करते हैं । लोकतंत्र में विभिन्न हितों एवं नजरियों की अभिव्यक्ति संगठित तरीके से राजनीतिक दलों के अलावा जनसंघर्ष एवं जन आंदोलन के द्वारा भी होती है । आधुनिक लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी की कार्य प्रणाली का सबसे लोकप्रिय स्वरूप संघवाद है । एक अन्य व्यवस्था एकात्मक व्यवस्था है , जिसमें शासन का एक ही स्तर होता है बाकी इकाइयाँ उसके अधीन काम करती हैं ।

प्रश्न 6. राजनीतिक दल किस तरह से सत्ता में साझेदारी करते हैं ?

उत्तर- राजनीतिक दल सत्ता के बँटबारे के वाहक से मोलतोल करने वाले सशक्त माध्यम होते हैं । राजनीतिक दल लोगों के ऐसे संगठित समूह है , जो लड़ने और राजनीतिक सत्ता हासिल करने के उद्देश्य से काम करते हैं । अतः विभिन्न राजनीतिक दल सत्ता प्राप्त करने के लिए प्रतिस्पद्धों के रूप में काम करते हैं । उनकी आपसी प्रतिद्वंद्विता यह निश्चित करती है कि सत्ता हमेशा किसी एक व्यक्ति या संगठित समूह के हाथों में न रहे । अगर हम राजनीतिक दलों के इतिहास पर गौर करें तो पता चलता है कि सत्ता बारी – बारी से अलग – अलग विचारधाराओं और समूहों वाले राजनीतिक दलों के हाथों में आती – जाती रहती है ।

प्रश्न 7. गठबंधन की सरकारों में सत्ता में साझेदार कौन – कौन होते हैं ?

 उत्तर- सत्ता की साझेदारी का प्रत्यक्ष रूप तब दिखता है जब दो या दो से अधिक पार्टियाँ मिलकर चुनाव लड़ती है या सरकार का गठन करती है । इसलिए सत्ता की साझेदारी का अद्यतन रूप गठबंधन की राजनीति या गठबंधन की सरकारों में दिखता है । जब विभिन्न विचारधाराओं विभिन्न सामाजिक समूहों और विभिन्न क्षेत्रीय और स्थानीय हितों वाले राजनीतिक दल एक साथ एक समय में सरकार के एक स्तर पर सत्ता में साझेदारी करते हैं ।

प्रश्न 8. दबाव समूह किस तरह से सरकार को प्रभावित कर सत्ता में साझेदार बनते हैं ?

 उत्तर- लोकतंत्र में व्यापारी , उद्योगपति , किसान , शिक्षक , औद्योगिक मजदूर जैसे संगठित हित समूह सरकार की विभिन्न समितियों में प्रतिनिधि बनकर सत्ता में भागीदारी करते हैं या अपने हितों के लिए सरकार पर अप्रत्यक्ष रूप से दबाव डालकर उनके फैसलों को प्रभावित कर सत्ता

में अप्रत्यक्ष रूप से हिस्सेदारी करते हैं । ऐसे विभिन्न समूह जब सक्रिय हो जाते हैं तब किसी एक समूह का समाज के ऊपर प्रभुत्व कायम नहीं हो सकता है । यदि कोई एक समूह सरकार के ऊपर अपने हित के लिए नीति बनाने के लिए दबाव डालता है तो दूसरा समूह उसके प्रतिकार में दबाव डालता है कि नीतियाँ इस तरह की न बनाई जाए । सरकार को भी ऐसे में पता चलता है कि समाज के विभिन्न वर्ग क्या चाहते हैं तथा उन्हें सत्ता में कैसे और कितनी मात्रा में हिस्सेदार बनाया जाए ।

 प्रश्न 9. निम्नलिखित में से किसी एक कथन का समर्थन करते हुए 50 शब्दों में उत्तर दें । हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है , भले ही वह छोटा हो या उसमें सामाजिक विभाजन नहीं हो ।

 उत्तर – हर समाज में सत्ता की साझेदारी की जरूरत होती है क्योंकि जब जाति , धर्म , रंग , भाषा आदि पर आधारित समूहों को उचित पहचान एवं सत्ता में साझेदारी नहीं मिलती है तो उनके असंतोष एवं टकराव से सामाजिक विभाजन , राजनीतिक अस्थिरता सांस्कृतिक ठहराव एवं आर्थिक गतिरोध उत्पन्न होते हैं और देश की एकता और अखण्डता खतरे में पड़ सकती है । विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच सत्ता की साझेदारी उचित है क्योंकि इसमें विभिन्न सामाजिक समूहों को अभिव्यक्ति एवं पहचान मिलती है । उनके हितों एवं जरूरतों का सम्मान होता है , इससे विभिन्न सामाजिक समूहों के बीच टकराव की संभावना क्षीण हो जाती है । अतः सत्ता व्यवस्था राजनीतिक समाज की एकता , अखंडता एवं वैधता की पहली शर्त है । साझेदारी की व्यवस्था राजनितिक समाज की एकता अखंडता एवं वैधता की पहली शर्त है |

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