10TH SOCIAL SCIENCE SENT UP EXAM QUESTION ANSWER

इतिहास

  1. जर्मनी के एकीकरण की बाधाएं क्या थी ?

उत्तर :- जर्मनी के एकीकरण में निम्नलिखित प्रमुख बाधाएँ थीं –

(i) लगभग 300 छोटे-बड़े राज्य
(ii) इन राज्यों में व्याप्त राजनीतिक, सामाजिक तथा धार्मिक विषमताएँ
(iii) राष्ट्रवाद की भावना का अभाव
(iv) ऑस्ट्रिया का हस्तक्षेप तथा
(v) मेटरनिख की प्रतिक्रियावादी नीति।

 

  1. What were the obstacles to the unification of Germany?

Answer: The following were the major obstacles in the unification of Germany –

(i) About 300 small and big states

(ii) Political, social and religious disparities prevailing in these states

(iii) Lack of feeling of nationalism

(iv) Austrian intervention and

(v) Metternich’s reactionary policy.

 

 

 

 

 

  1. 1848 की फ्रांसीसी क्रांति के क्या कारण थे ?

उत्तर :- 1830 की क्रांति के बाद लुई फिलिप फ्रांस का राजा बना। उसने अपने विरोधियों को खुश करने के लिए ‘स्वर्णिम मध्यमवर्गीय नीति’ अवलंबन करते हुए सन् 1840 में गीजो को प्रधानमंत्री नियुक्त किया, जो कट्टर प्रतिक्रियावादी था। वह किसी भी तरह के वैधानिक, सामाजिक और आर्थिक सुधारों के विरुद्ध था। फिलिप के पास कोई सुधारात्मक कार्यक्रम नहीं था और न ही उसे विदेश नीति में कोई सफलता हासिल हो रही थी। उसके शासनकाल में देश में भुखमरी एवं बेरोजगारी व्याप्त हो गई। सुधारवादियों ने 22 फरवरी, 1848 ई० को पेरिस में थियर्स के नेतृत्व में एक विशाल भोज का आयोजन किया। राजा ने इस पर रोक लगा दी। अतः पेरिस में विरोध प्रदर्शन हुए और जुलूस निकाले गए। इस पर पुलिस ने गोली चला दी। जिसमें अनेक लोग मारे गए। अतः दमनकारी नीति अपनाए जाने के कारण 1848 ई० की क्रान्ति आरंभ हो गई।

  1. What were the reasons for the French Revolution of 1848?

Answer: – After the revolution of 1830, Louis Philippe became the King of France. He appointed Gizo as prime minister in 1840, following a ‘golden middle-class policy’ to please his opponents, who was a staunch reactionary. He was against any kind of legal, social and economic reforms. Philip did not have any reform program nor was he getting any success in foreign policy. During his reign there was hunger and unemployment in the country. On February 22, 1848, the Reformists organized a huge banquet under the leadership of Thiers in Paris. The king stopped this. So there were protests and processions in Paris. On this the police opened fire. In which many people were killed. Therefore, due to the adoption of repressive policy, the revolution of 1848 AD started.

 

 

  1. Q. एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी | कैसे ?

उत्तर :- रूस में क्रांति के बाद नई सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। सामाजिक असमानता समाप्त कर दी गयी। वर्गविहीन समाज का निर्माण कर रूसी समाज का परंपरागत स्वरूप बदल दिया गया। पूँजीपति और जमींदार वर्ग का उन्मूलन कर दिया गया। समाज में एक ही वर्ग रहा, जो साम्यवादी नागरिकों का था। काम के अधिकार को संवैधानिक अधिकार बना दिया गया। व्यक्तिगत संपत्ति समाप्त कर पूँजीपतियों का वर्चस्व समाप्त कर दिया गया। देश की सारी संपत्ति का राष्ट्रीयकरण कर दिया गया। इस प्रकार, एक वर्गविहीन औरशोषणमुक्त सामाजिक-आर्थिक व्यवस्था की स्थापना हुई। इस प्रकार हम कह सकते हैं की रूसी क्रांति के बाद साम्यवाद एक नई आर्थिक एवं सामाजिक व्यवस्था थी।

  1. There was a new economic and social system. how ?

Answer: After the revolution in Russia, a new socio-economic system was established. Social inequality was abolished. The traditional form of Russian society was changed by creating a classless society. The capitalist and landlord classes were abolished. There was only one class in the society, which was the communist citizens. The right to work was made a constitutional right. The domination of capitalists was abolished by abolishing personal property. All the wealth of the country was nationalised. Thus, a classless and exploitation-free socio-economic system was established. Thus we can say that communism was a new economic and social system after the Russian Revolution.

 

 

 

 

  1. सविनय अवज्ञा आंदोलन के क्या परिणाम हुए ?

उत्तर :- सविनय अवज्ञा आंदोलन के प्रमुख कारण थे –

(i) साइमन कमीशन का बहिष्कार तथा नेहरू रिपोर्ट को अस्वीकार किया जाना,
(ii) 1929-30 की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी,
(iii) भारत में समाजवादी का बढ़ता प्रभाव,
(iv) गाँधीजी के 11 सूत्री मांगों को मानने से इरविन का इनकार,
(v) पूर्ण स्वराज की माँग।

  1. What were the results of the Civil Disobedience Movement?

Answer: The main reasons for the Civil Disobedience Movement were –

(i) Boycott of Simon Commission and rejection of Nehru Report,

(ii) Worldwide economic recession of 1929-30,

(iii) The growing influence of socialists in India,

(iv) Irwin’s refusal to accept Gandhiji’s 11 point demands,

(v) Demand for Purna Swaraj.

 

 

 

 

 

  1. नगरीकरण ने किन नई समस्याओं का जन्म दिया ?

उत्तर ⇒ नये-नये शहरों का उदय और शहरों की बढ़ती जनसंख्या ने शहरों में नई-नई समस्याओं को जन्म दिया। शहरों में श्रमिकों की बढ़ती आबादी ने कई नई समस्याओं को जन्म दिया जैसे — बेरोजगारी में वृद्धि, आवास की समस्या तथा स्वास्थ्य संबंधी समस्या इत्यादि।

  1. What new problems did urbanization give rise to?

Answer: The emergence of new cities and the increasing population of cities gave rise to new problems in the cities. The increasing population of workers in the cities gave rise to many new problems such as increase in unemployment, housing problem and health related problem etc.

 

  1. निरुद्योगिकरण से आप क्या तात्पर्य हैं ?

ANS:- एक तरफ जहाँ मशीनों के आविष्कार ने उद्योग एवं उत्पादन में वृद्धि कर औद्योगीकरण की प्रक्रिया की शुरुआत की थी वहीं भारत में कुटीर उद्योग बंद होने की कगार पर पहुँच गया था | भारतीय इतिहासकारों ने भारत के उद्द्योक के लिए इसे निरुद्योगिकरणकी संज्ञा दी |

  1. What do you mean by de-industrialisation?

ANS:- While the invention of machines had started the process of industrialization by increasing industry and production, the cottage industry in India had reached the verge of closure. Indian historians termed it as de-industrialization for India’s industry.

 

 

Long Question

  1. राष्ट्रीय आंदोलन को भारतीय प्रेस ने कैसे प्रभावित किया ?

ANS:- 1-प्रेस में प्रकाशित लेखों और समाचारपत्रों से भारतीय औपनिवेशिक शासन के वास्तविक स्वरूप से परिचित हुए | समाचारपत्रों ने उपनिवेशवाद और सम्रज्य्वाद का वास्तविक चरित्र उजागर कर इनके विरुद्ध लोकमत को संगठित किया | 

2-प्रेस ने जनता को राजनीतिक शिक्षा प्रदान किया | इसने भारत में चलनेवाले विभिन्न आन्दोलनों, जैसे-होमरूल आंदोलन एवं राजनीतिक कार्यक्रमों से जनता को परिचित कराया | प्रेस ने स्वदेशी और बहिष्कार की नीति का भी प्रचार किया | 

3-महात्मा गाँधी का भारतीय राजनीति में पर्दापर्ण प्रेस के द्वारा ही हुआ | आगे भी उनके सत्याग्रह एवं अहिंसा के विचारों को तथा उनके कार्यक्रमों को प्रभावशाली बनाने में प्रेस की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी | 

4-समाचारपत्रों ने राष्ट्रीय आंदोलन को नई दिशा दी एवं राष्ट्र-निर्माण में योगदान किया | इसने एक और नरमपंथी तथा दूसरी ओर उग्रराष्ट्रवादी भावना एवं क्रन्तिकारी आन्दोलनों से जनता को परिचित कराया | 

5-प्रेस ने एक ओर तो देशी राज्यों के अधिकारों पर किए गए आघात का विरोध किया तो दूसरी और रजवाड़ों में व्याप्त अत्याचार, विलासिता, आर्थिक अनियमितता की कटु आलोचना की | देशी राज्यों में चल रहे लोकतान्त्रिक व्यवस्था की स्थापना के संघर्ष को भी प्रेस ने समर्थन दिया | 

6-प्रेस ने सर्कार की शैक्षिणिक, आर्थिक एवं विदेश नीति एवं इसके दुष्प्रभावों से जनता को परिचित कराकर जनमानस को उद्वेलित कर दिया |  

 

 

  1. How did the Indian press influence the national movement?

ANS :- 1- Got acquainted with the real nature of Indian colonial rule from the articles and newspapers published in the press. Newspapers exposed the real character of colonialism and imperialism and organized public opinion against them.

2- The press provided political education to the public. It acquainted the public with the various movements going on in India, such as the Home Rule movement and political programs. The press also propagated the policy of swadeshi and boycott.

3- Mahatma Gandhi was exposed in Indian politics only through the press. Even further, the press had an important role in making his ideas of Satyagraha and non-violence and his programs effective.

4- Newspapers gave new direction to the national movement and contributed to nation-building. It introduced the people to the moderate on the one hand and the extremist sentiments and revolutionary movements on the other.

5- The press, on the one hand, opposed the attack on the rights of the native states, and on the other, strongly criticized the tyranny, luxury, economic irregularity prevailing in the princely states. The press also supported the struggle to establish a democratic system going on in the native states.

6-The press stirred up the public by acquainting the public with the educational, economic and foreign policy of the government and its ill-effects.

  1. इटली के एकीकरण में मेजिनी, कावूर और गैरीबाल्डी के योगदान को बताएं |

इटली के एकीकरण की दिशा में प्रमुख कार्य,

 इटली के एकीकरण का कार्य अनेक प्रयासों के माध्यम से पूरा हुआ था। इटली के राष्ट्रवादियों ने स्थान-स्थान पर कार्बोनरी नामक गुप्त समितियाँ स्थापित की थीं। समितियों की बैठक रात में होती थी। देश के सभी मुख्य नेता इन समितियों के सदस्य बन गए थे। कार्बोनरी का मुख्य उद्देश्य
विदेशियों को इटली से बाहर निकालना तथा वैधानिक स्वतन्त्रता की स्थापना करना था। इटली के एकीकरण के इतिहास में किए गए प्रारम्भिक प्रयासों में कार्बोनरी का स्थान अत्यन्त महत्त्वपूर्ण था।

मेजिनी का योगदान –

जिस समय कार्बोनरी समितियाँ राष्ट्रीय एकीकरण की दिशा में प्रयासरत थीं, उसी समय इटली की राजनीति में मेजिनी नामक देशभक्त का उदय हुआ, जिसने इटली के एकीकरण के लिए अपना जीवन अर्पित कर दिया। वह कार्बोनरी का सदस्य रह चुका था। 1830 ई. में उसने इटली के राज्यों में होने वाली क्रान्तियों का नेतृत्व किया। उसने इटली की जनता को सन्देश

दिया तथा राष्ट्रीय जीवन में चेतना जाग्रत की। 1830 ई. तक की असफलताओं से मेजिनी ने दो निष्कर्ष निकाले

(1) इटली का सबसे प्रबल शत्रु ऑस्ट्रिया है।

(2) एकीकरण को पूरा करने के लिए कार्बोनरी अपर्याप्त है।

इन निष्कर्षों के आधार पर मेजिनी ने ‘युवा इटली’ नामक दल का गठन किया। इसकी सहायता से उसने देश में जन-जागरण का कार्य प्रारम्भ किया और इटली की जनता को समझाया कि बनावटी राजनीतिक सीमाओं के द्वारा हमारे देश के टुकड़े कर दिए गए हैं, किन्तु इटली एक राष्ट्र है और उसमें एकता है। उस एकता को जीवित रखना इटली के प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है। मेजिनी का कथन था, “जब तक कार्य और उद्देश्य अलग-अलग हैंतब तक सफलता अनिश्चित है।

1848 ई. की प्रसिद्ध क्रान्ति से सम्पूर्ण यूरोप महाद्वीप प्रभावित हुआ था। मैटरनिख के पतन का समाचार सुनकर मार्च, 1848 में इंटलीवासियों ने मेजिनी के नेतृत्व में स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। मेजिनी ने पोप की राजधानी रोम में गणतन्त्र की घोषणा कर दी, किन्तु फ्रांस के राष्ट्रपति लुई नेपोलियन ने सेना भेजकर पोप की सहायता की। मेजिनी पराजित हो गया और पोप को पुनः सत्तारूढ़ कर दिया गया। मेजिनी पराजित होकर स्विट्जरलैण्ड भाग गया।

कैवूर का योगदान–

 

  1. State the contribution of Mazzini, Cavour and Garibaldi in the unification of Italy.

Major work towards the unification of Italy,

 The work of unification of Italy was accomplished through many efforts. The Italian nationalists had established secret societies called Carbonari from place to place. The meetings of the committees were held at night. All the main leaders of the country had become members of these committees. , Main purpose of Carbonari Foreigners were to be driven out of Italy and legal independence was to be established. The place of Carbonari was very important in the early efforts made in the history of unification of Italy.

Mazzini’s Contribution

At the time when the Carbonari committees were striving towards national integration, at the same time a patriot named Mezzini emerged in Italian politics, who devoted his life for the unification of Italy. He had been a member of the Carbonari. In 1830, he led the revolutions in the states of Italy. He sent a message to the people of Italy

He gave and awakened consciousness in the national life. Mazzini drew two conclusions from the failures up to 1830.

(1) The strongest enemy of Italy is Austria.

(2) The carbonary is insufficient to complete the integration.

Based on these findings, Mazzini formed a group called ‘Young Italy’. With its help, he started the work of public awareness in the country and explained to the people of Italy that our country has been torn apart by artificial political boundaries, but Italy is a nation and there is unity in it.It is the duty of every citizen of Italy to keep that unity alive. Mazzini said, “Success is uncertain as long as the task and the purpose are different.”

The entire continent of Europe was affected by the famous revolution of 1848. Hearing the news of the fall of Maternich, in March 1848, the Italians under the leadership of Mazzini declared independence. Mazzini declared a republic in Rome, the papal capital, but French President Louis Napoleon sent an army to help the Pope. Mezzini was defeated and the Pope was reelected. Mazzini was defeated and fled to Switzerland.

 

 

 

 

 

 

भूगोल

  1. जल संकट से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- एक क्षेत्र के अंतर्गत जल उपयोग की मांगों को पूरा करने हेतु उपलब्ध जल संसाधनों की कमी को ही ‘जल संकट’ कहते हैं। विश्व के सभी महाद्वीप में रहने वाले लगभग 2.8 बिलियन लोग प्रत्येक वर्ष कम-से-कम एक महीने जल संकट से प्रभावित होते हैं। लगभग 1.2 बिलियन से अधिक लोगों के पास पीने हेतु स्वच्छ जल की सुविधा उपलब्धता नहीं होती है।

  1. What do you understand by water crisis?

ANS:- The lack of available water resources to meet the demands of water use within an area is called ‘Water Crisis’. About 2.8 billion people living on all continents of the world are affected by water scarcity for at least one month each year. More than 1.2 billion people do not have access to clean drinking water.

 

 

  1. सौर ऊर्जा का उत्पादन कैसे होता है ?

ANS:- सौर ऊर्जा वह ऊर्जा है जो सीधे सूर्य से प्राप्त की जाती है। वैसे तो सौर ऊर्जा का इस्तेमाल पेड़-पौधों, जीव जंतुओं एवं जलवायु द्वारा किया विभिन्न स्तर पर किया जाता है लेकिन आजकल सौर ऊर्जा से विद्युत् उत्पन्न करने का भी प्रचलन बढ़ गया है। सौर ऊर्जा से विद्युत् उत्पन्न करने के लिए सोलर पैनल का इस्तेमाल किया जाता है।

  1. How is solar energy produced?

ANS:- Solar energy is the energy which is obtained directly from the sun. Although solar energy is used by plants, animals and climate at different levels, but nowadays the practice of generating electricity from solar energy has also increased. Solar panels are used to generate electricity from solar energy.

 

 

 

  1. कृषि की निम्न उत्पादकता के कारण है ?

ANS:- खेती पर जनसंख्या का बढ़ता बोझ भी निम्न उत्पादकता का महत्त्वपूर्ण कारण है। कनीकी कारक: सिंचाई सुविधाओं की पर्याप्तता का अभाव, उच्च उत्पादकता वाले बीजों की अनुपलब्धता, किसानों के पास मृदा परख तकनीक का अभाव और कीटों, रोगाणुओं और चूहों जैसे अन्य कृंतकों से बचाव की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी का न होना।

  1. Due to low productivity of agriculture?

ANS:- The increasing burden of population on agriculture is also an important reason for low productivity. Technological factors: Lack of adequacy of irrigation facilities, non-availability of high yielding seeds, lack of soil assay techniques with farmers and lack of knowledge of scientific methods of protection against insects, pathogens and other rodents like rats.

 

 

 

 

  1. विनिमय से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- विनिमय का अर्थ है किसी वस्तु के बदले किसी दूसरी वस्तु का आदान-प्रदान करना। जब हम किसी वस्तु के बदले दूसरी वस्तु देते या प्राप्त करते हैं तो वह विनिमय कार्य कहलाता हैं। … विक्रय विनिमय – जब हम कोई वस्तु बेचते हैं और इसके बदले मे जो मूल्य प्राप्त करते हैं, विक्रय विनिमय कहलाता है।

 

  1. What do you understand by exchange?

ANS:- Exchange means to exchange one thing for another. When we give or receive one thing in exchange for another, it is called exchange work. … Selling Exchange – When we sell an item and the price we get in return is called Selling Exchange.

 

  1. बिहार में कम वन क्षेत्र के दो मुख्य कारणों का उल्लेख कीजिए ?

ANS :- बिहार विभाजन के बाद बिहार में वनों की स्थिति दयनीय हो गई है। वर्तमन में अधिकतर भूमि कृषि योग्य हैं। बिहार में 764.47 हेक्टेयर में ही वन क्षेत्र बच गया है, जो बिहार के भौगोलिक क्षेत्र का लगभग 6.87% है। यहाँ प्रति व्यक्ति वन भूमि क औसत मात्र 0.05 हेक्टेयर है जे राष्ट्रीय औसत 0.53 हेक्टेयर से बहुत ही कम है। बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों से वन क्षेत्र समाप्त हो गया है। पश्चिमी चम्पारण, मुंगेर, बांका, जमुई, नवादा, नालन्दा, गया, रोहतास, कैमूर और औरंगाबाद जिलों के वनों की स्थिति कुछ बेहतर हैं, जिसक कुल क्षेत्रफल 3700 वर्ग किलोमीटर है। शेष में अवक्रमित वन क्षेत्र हैं, जहाँ वन के नाम पर केवल झुरमुट बच गये हैं। सिवान, सारण, भोजपुर, बक्सर, पटना, गोपालगंज, वैशाली, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगूसराय, मधेपुरा, खगड़िया में एक प्रतिशत से भी कम भूमि में वन मिलते हैं

  1. Mention two main reasons for less forest area in Bihar?

ANS: – After the bifurcation of Bihar, the condition of the forests in Bihar has become pathetic. At present most of the land is cultivable. Only 764.47 hectares of forest area is left in Bihar, which is about 6.87% of the geographical area of ​​Bihar. Here the average per capita forest land is only 0.05 hectares, which is much less than the national average of 0.53 hectares. Out of 38 districts of Bihar, the forest area has been depleted in 17 districts. The forest condition of West Champaran, Munger, Banka, Jamui, Nawada, Nalanda, Gaya, Rohtas, Kaimur and Aurangabad districts is somewhat better, having a total area of ​​3700 square kilometer. The remainder consists of degraded forest areas, where only clumps have survived in the name of forest. In Siwan, Saran, Bhojpur, Buxar, Patna, Gopalganj, Vaishali, Muzaffarpur, Motihari, Darbhanga, Madhubani, Samastipur, Begusarai, Madhepura, Khagaria, forests are found in less than one percent of the land.

 

  1. डेल्टा को परिभाषित कीजिए ?

ANS:- डेल्टा उस भूभाग को कहते हैं, जो नदी द्वारा लाए गए अवसादों के संचयन से निर्मित हाता है, विशेषत: नदी के मुहाने पर, जहाँ वह किसी समुद्र अथवा झील में गिरती है। इस भूभाग का आकार साधारणत: त्रिभुजा जैसा होता है। नील नदी का डेल्टा इसका सुंदर उदाहरण है (देखें चित्र)। जब कोई पहाड़ी नदी समतल मैदानी अथ्वा पठारी प्रदेश में पहुँचती है तो जल के वेग में आकस्मिक क्षीणता के कारण भी पर्वत पाद पर अवसादों के कुछ भाग का निक्षेपण होता है। ये निक्षेप साधारणत: त्रिभुजाकार होते हैं। इन्हें जलौढ़ पंखा (alluvial fan), शंकु डेल्टा (cone delta) अथवा पंखा डेल्टा (fan delta) कहते हैं।

  1. Define Delta?

ANS:- The delta is the land that is formed by the accumulation of sediments brought by the river, especially at the mouth of the river, where it falls into a sea or lake. The shape of this land is generally like a triangle. The delta of the Nile is a beautiful example of this (see picture). When a mountain river reaches a flat plain or a plateau region, some part of the sediments are deposited on the mountain foot due to sudden decrease in the velocity of water. These deposits are generally triangular. These are called alluvial fans, cone delta or fan delta.

 

 

Long Question

  1. खनिजों के विभिन्न प्रकारों का उदाहरण विवरण दीजिए ?

ANS:- सामान्यतः खनिजों को दो वर्गों में बाँटा जाता है-

(i) धात्विक खनिज- ऐसे खनिजों में धातु मौजूद रहते हैं। ये धातु किसी-न-किसी धातु के साथ मिले होते हैं। जैसे लौह अयस्क, ताँबा, निकेल आदि। नह धातु की उपस्थिति के आधार पर धात्विक खनिज को भी दो उप-भाग में बाँटा जाता है।
(क) लौह युक्त धातु (ख) अलौह युक्त धातु

  • लौह युक्त धातु में लोहा के अंश अधिक होते हैं, जैसे-लौह अयस्क, मैंगनीज, निकेल, टंगस्टन आदि।
  • अलौह धातु में लोहा के अंश बहुत कम होते हैं, जैसे—सोना, चाँदी, बॉक्साइट, टिन, ताँबा आदि।

(ii) अधात्विक खनिज-ऐसे खनिजों में धातु नहीं होते हैं, जैसे चूना पत्थर, डोलोमाइट, अभ्रक, जिप्सम आदि। जीवाश्म की उपस्थिति के आधार पर अधात्विक खनिज को भी दो भागों में बाँटा जाता है ।

  • (क) कार्बनिक खनिज—ऐसे खनिज का निर्माण भू-गर्भ में प्राणी एवं पेड़-पौधों के दबने से होता है। जैसे—कोयला, पेट्रोलियम, चूना पत्थर आदि।
  • (ख) अकार्बनिक खनिज—ऐसे खनिजों में जीवाश्म की मात्रा नहीं होते हैं, जैसे—अभ्रक, ग्रेफाइट आदि।
  1. Give examples of different types of minerals?

ANS:- Generally minerals are divided into two classes-

(i) Metallic minerals- Metals are present in such minerals. These metals are mixed with some other metal. Like iron ore, copper, nickel etc. Metallic minerals are also divided into two sub-sections on the basis of the presence of Na metal.

(a) ferrous metal (b) non-ferrous metal

Iron-containing metals have high iron content, such as iron ore, manganese, nickel, tungsten, etc.

The fraction of iron in non-ferrous metals is very less, such as gold, silver, bauxite, tin, copper etc.

(ii) Non-metallic minerals: Such minerals do not contain metals, such as limestone, dolomite, mica, gypsum, etc. On the basis of the presence of fossils, non-metallic minerals are also divided into two parts.

 

(a) Organic Minerals – Such minerals are formed by the burial of animals and plants in the earth’s womb. For example, coal, petroleum, limestone etc.

(b) Inorganic minerals – Such minerals do not contain fossils, such as mica, graphite etc.

 

  1. भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग का संक्षिप्त विवरण कीजिए ?

ANS:-  भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग के महत्व निम्लिखित बिंदुओं की सहायता से समझा जा सकता है:

  • विश्व सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग की तुलना में भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग बाजार उच्च गति से विकसित हो रहा है।
  • भारत दुनिया भर में अग्रणी सोर्सिंग डेस्टिनेशन है, जिसका 2017-18 में कारोबार का सोर्सिंग यूएस $ 185-190 बिलियन के वैश्विक शेयर बाजार का लगभग 55 प्रतिशत हिस्सा है।
  • भारतीय आईटी और आईटीईएस कंपनियों ने दुनिया भर के लगभग 80 देशों में 1,000 से अधिक वैश्विक वितरण केंद्र स्थापित किए हैं।
  • भारत दुनिया में डिजिटल क्षमता का लगभग 75 प्रतिशत हिस्सा है, जो देश में मौजूद वैश्विक डिजिटल प्रतिभा का केंद्र है।
  • भारत में सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग भारत के कुल GDP योग 7% का भाग रखता है। जो कि काफी अधिक है।

 

 

 

  1. Briefly describe the information technology industry in India?

ANS:- The importance of information technology industry in India can be understood with the help of the following points:

  • The information technology industry market in India is developing at a faster rate as compared to the world information technology industry.
  • India is the leading sourcing destination worldwide, accounting for about 55 per cent of the global market share of US$185-190 billion sourcing business in 2017-18.
  • Indian IT and ITeS companies have established over 1,000 global distribution centers in around 80 countries across the world.
  • India accounts for about 75 per cent of the world’s digital potential, which is home to the global digital talent present in the country.
  • Information technology industry in India accounts for 7% of India’s total GDP. Which is quite a lot.

राजनीतिक शास्त्र

  1. सूचना के अधिकार आंदोलन के मुख्य उद्देश्य क्या थे ?

ANS:- सूचना का अधिकार अधिनियम का मूल उद्देश्य नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कार्य में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व को बढ़ावा देना, भ्रष्टाचार को नियंत्रित करना और वास्तविक अर्थों में हमारे लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना है। … यह कानून नागरिकों को सरकार की गतिविधियों के बारे में जानकारी देने के लिए एक बड़ा कदम है।

 

  1. What were the main objectives of the Right to Information Movement?

ANS:- The basic objective of the Right to Information Act is to empower the citizens, promote transparency and accountability in the working of the government, control corruption and make our democracy successful for the people in the real sense. … This law is a big step to inform citizens about the activities of the government.

  1. धर्म निरपेक्ष राज्य से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- धर्मनिरपेक्ष राज्य (Secular State) का कोई धर्म नहीं होता है। यह धर्म से अलग और ऊपर उठकर सभी धर्मों एवं धर्मावलंबियों के साथ समानता का व्यवहार करता है और किसी भी व्यक्ति के धार्मिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करता है।

दूसरे शब्दों में कहें तो, एक धर्मनिरपेक्ष या पंथनिरपेक्ष राज्य, निरपेक्षता की एक ऐसी अवधारणा है, जिसके तहत कोई भी राज्य (State) या देेश (Country) स्वयं को धार्मिक मामलों में आधिकारिक तौर पर (न धर्म और न ही अधर्म का समर्थन) करते हुए, तटस्थ घोषित करता है।

  1. What do you understand by secular state?

ANS:- Secular state has no religion. It rises above religion and treats all religions and religions equally and does not interfere in the religious matter of any person.

In other words, a secular or secular state is a concept of absolutism whereby no state or country can officially engage itself in religious matters (neither support of religion nor adharma). Declaring neutral.

 

  1. राजनीतिक दल की परिभाषा दें ।

ANS:- ‘राजनीतिक दल’ एक समान विचारधारा वाले नागरिकों का एक संगठन होता है। इस संगठन में समान विचारधारा वाले लोग एकजुट होकर एक दल का निर्माण करते हैं जिसका उद्देश्य अपनी विचारधारा का अनुसरण करते हुए अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करना है। इन महत्वाकांक्षाओं में चुनाव लड़ना, चुनाव लड़कर चुनाव जीतना और सत्ता प्राप्ति करना है। राजनीतिक दल का अंतिम उद्देश्य सत्ता प्राप्ति ही होता है।

किसी लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों का बहुत महत्व है। राजनीतिक दल राष्ट्रीय आधार पर होते हैं और क्षेत्रीय आधार पर होते हैं। कुछ राजनीतिक दलों का जनाधार राष्ट्रीय स्तर पर होता है तो वह पूरे देश में चुनाव लड़ते हैं और अपनी सत्ता स्थापित करते हैं। उन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक दल कहते हैं उन्हें राष्ट्रीय राजनीतिक दल के रूप में मान्यता प्राप्त होती है। कुछ दल केवल राज्य के या किसी विशेष क्षेत्र तक ही सीमित होते हैं। उन्हें क्षेत्रीय राजनीतिक दल कहते हैं।

  1. Give the definition of political party.

ANS:- A ‘political party’ is an organization of like-minded citizens. In this organization like-minded people come together to form a party whose purpose is to follow their ideology and fulfill their political ambitions. These ambitions include contesting elections, winning elections by contesting elections and getting power. The ultimate aim of a political party is to get power.Political parties are very important in any democratic system. Political parties are on a national basis and there are regional ones. Some political parties have their base at the national level, then they contest elections all over the country and establish their power. They are called national political parties and they are recognized as national political parties. Some parties are confined only to the state or to a particular area. They are called regional political parties.

 

  1. आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है । कैसे ?

ANS:- आज भारत सहित दुनिया के अधिकांश देश आतंकवाद की समस्या से ग्रसित हैं जो लोकतंत्र की एकganbhir चुनौती के रूप में सामने आया है। आतंकवाद के कारण किसी भी देश की अखंडता एवं एकता के लिए खतरा उतपन्न कर रही है। यह खतरा केवल आतंकवादी गतिविधियों एवं अवैध शरणार्थियों के साथ-साथ बढ़ते हुई आर्थिक अपराधों से भी है। आतंकवाद आज पूरी तरह अपनी जड़े जमा चूका है तथ देश के विकाश में पूरी तरह बाधा बना हुआ है। केंद्र और राज्यों के बीच आपसी टकराव से आतंकवाद से लड़ने और जनकल्याणकारी योजनाओं के सुचारु क्रियान्वयन में बाधा पहुंचती है। जबकि आज दुनिया के अधिकांश देशों में आतंकवाद अपना पैर जमा चूका है  दुनिया के देशों को मिलकर इस समस्या को जड़ से उखड़ा फेंकने की आवश्यकता है। आतंकवादी गतिविधियां किसी भी लोकतांत्रिक देश की सबसे गंभीर चुनौती है, देश के विकास में बाधक है तथ लोकतंत्र के लिए खतरा है।

 

  1. Terrorism is a challenge to democracy. how ?

ANS:- Today most of the countries of the world including India are suffering from the problem of terrorism which has emerged as a ganbhir challenge of democracy. Terrorism is threatening the integrity and unity of any country. The threat comes only from terrorist activities and illegal refugees as well as increasing economic crimes. Terrorism has completely established its roots today and remains a complete obstacle in the development of the country. Conflict between the Center and the states hinders in the fight against terrorism and the smooth implementation of public welfare schemes. While terrorism has gained its footing in most of the countries of the world today, there is a need for the countries of the world to uproot this problem together. Terrorist activities are the most serious challenge of any democratic country, hinder the development of the country and are a threat to democracy.

 

Long Question

  1. भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं ?

ANS:-
भारत में लोकतंत्र की जड़े गहरी हो रही है | समानता, स्वतंत्रता एवं जनभागीदारी पर आधृत होने के कारण लोकतंत्र में जनता का विश्वास दृढ़ होता जा रहा है स्वतंत्र एवं निष्पक्ष निर्वाचन की प्रक्रिया से सत्ता परिवर्तन के कारण जान प्रतिनिधियों में उत्तरदायित्त्व की भावना बढ़ रही है | तथापि, अशिक्षा, बेरोजगारी एवं गरीबी उन्मूलन की चुनौती बनी हुई है | ले-देकर भारत में लोकतंत्र का भविष्य उज्जवल है |

  1. How do you see the future of democracy in India?

ANS:-

The roots of democracy are getting deep in India. Due to being based on equality, freedom and public participation, the confidence of the people in democracy is getting stronger. However, the challenge of eradicating illiteracy, unemployment and poverty remains. Democracy has a bright future in India.

 

 

 

  1. राजनीतिक दलों के प्रमुख कार्य बताएं ?

ANS:- राजनीतिक दलों के निम्नलिखित प्रमुख कार्य हैं –

(i) नीतियाँ एवं कार्यक्रम तय करना – राजनीतिक दल जनता का समर्थन पाप्त करने के लिए नीतियाँ एवं कार्यक्रम तैयार करते हैं। इन्हीं नीतियों और कार्यक्रमों के आधार पर ये चुनाव भी लड़ते हैं। राजनीतिक दल भाषण, टेलीविजन, रेडियो, समाचारपत्र आदि के माध्यम से अपनी नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के सामने रखते हैं और मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश करते हैं। मतदाता भी उसी राजनीतिक दल को अपना समर्थन देते हैं जिसकी नीतियाँ एवं कार्यक्रम जनता के कल्याण के लिए एवं राष्ट्रीय हित को मजबूत करनेवाली होती हैं।

(ii) लोकतंत्र का निर्माण – लोकतंत्र में जनता की सहमति या समर्थन से ही सत्ता प्राप्त होती है। इसके लिए शासन की नीतियों पर लोकमत प्राप्त होता है और इस तरह के लोकमत का निर्माण राजनीतिक दल के द्वारा ही हो सकता है। राजनीतिक दल लोकमत निर्माण करने के लिए जनसभाएँ, रैलियों, समाचारपत्र, रेडियो, टेलीविजन आदि का सहारा लेते हैं। <br> (iii) राजनीतिक प्रशिक्षण – राजनीतिक दल मतदाताओं को राजनीतिक प्रशिक्षण देने का भी काम करता है।

  1. State the main functions of political parties?

ANS:- Following are the main functions of political parties –

(i) To decide policies and programs – Political parties prepare policies and programs to get the support of the people. On the basis of these policies and programs, they also fight elections. Political parties put their policies and programs in front of the public through speech, television, radio, newspaper etc. and try to attract the voters towards them. Voters also give their support to the same political party whose policies and programs are for the welfare of the people and strengthen the national interest.

(ii) Building Democracy – In a democracy, power is obtained only with the consent or support of the people. For this, public opinion is obtained on the policies of the government and such public opinion can be formed only by the political party. Political parties use public meetings, rallies, newspapers, radio, television etc. to form public opinion.

(iii) Political training – Political party also works to provide political training to the voters.

 

अर्थशास्त्र

  1. सकल घरेलू उत्पाद से आप क्या अभिप्राय है ?

ANS:- सकल घरेलू उत्पाद (GDP) या जीडीपी या सकल घरेलू आय (GDI), एक अर्थव्यवस्था के आर्थिक प्रदर्शन का एक बुनियादी माप है, यह एक वर्ष में एक राष्ट्र की सीमा के भीतर सभी अंतिम माल और सेवाओ का बाजार मूल्य है। GDP (सकल घरेलू उत्पाद) को तीन प्रकार से परिभाषित किया जा सकता है, जिनमें से सभी अवधारणात्मक रूप से समान हैं। पहला, यह एक निश्चित समय अवधि में (आम तौर पर 365 दिन का एक वर्ष) एक देश के भीतर उत्पादित सभी अंतिम माल और सेवाओ के लिए किये गए कुल व्यय के बराबर है। दूसरा, यह एक देश के भीतर एक अवधि में सभी उद्योगों के द्वारा उत्पादन की प्रत्येक अवस्था (मध्यवर्ती चरण) पर कुल वर्धित मूल्य और उत्पादों पर सब्सिडी रहित कर के योग के बराबर है। तीसरा, यह एक अवधि में देश में उत्पादन के द्वारा उत्पन्न आय के योग के बराबर है |

  1. What do you mean by Gross Domestic Product?

ANS:- Gross Domestic Product (GDP) or GDP or Gross Domestic Income (GDI), a basic measure of the economic performance of an economy, is the market value of all final goods and services within a nation’s borders in a year. GDP can be defined in three ways, all of which are conceptually similar. First, it is equal to the total expenditure for all final goods and services produced within a country over a given time period (typically 365 days a year). Second, it is equal to the sum of the total value added at each stage of production (intermediate stage) by all industries within a country over a period of time and non-subsidized tax on products. Third, it is equal to the sum of the income generated by production in the country over a period.

  1. Q. स्वयं समूह से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- स्वयं सहायता समूह ग्रामीण निर्धनों का एक ऐसा छोटा समूह होता है। जिनके सदस्यों की आर्थिक एवं सामाजिक स्थिति लगभग समान होती है। ये सामूहिक प्रयास से अपनी जीवन दशा में बेहतर बनाने का प्रयास करते है। सामान्यतः समूह में या तो पुरूष या केवल महिलाएं होती है, परन्तु मिले-जुले समूह भी बनाये जा सकते है।

  1. What do you understand by group itself?

ANS:- Self Help Group is such a small group of rural poor. The economic and social status of its members is almost equal. They try to make their living condition better by collective effort. Usually groups consist of either males or females only, but mixed groups can also be formed.

 

 

  1. वस्तु विनिमय क्या है ?

ANS:- वस्तु विनिमय का मतलब है “किसी वस्तु को लेने के लिए उसके बदले में कोई अन्य वस्तु देना।” जब हम बाजार में कोई वस्तु खरीदने के लिए जाए और उसके बदले में पैसे न दे कर कोई अन्य वस्तु दे तो यह वस्तु विनिमय पद्धति कहलाती है। लेकिन आज के युग में वस्तु विनिमय पद्धति लगभग खत्म हो चुकी है। वस्तु खरीदने के लिए हमें पैसों (धन) की आवश्यकता पड़ती है।

  1. What is barter?

ANS:- Barter means “to take something in exchange for something else.” When we go to the market to buy a commodity and instead of paying money, we give some other commodity, then it is called barter system. But in today’s era barter system is almost over. We need money (money) to buy things.

  1. आर्थिक विकास से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- आर्थिक विकास से आशय उस प्रक्रिया से है जिसके परिणामस्वरूप देश के समस्त उत्पादन साधनों का कुशलतापूर्वक दोहन होता है। साथ ही साथ राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय में निरंतर एवं दीर्घकालिक वृद्धि होती है तथा जीवन स्तर एवं मानव विकास सूचकांक में सुधार की स्थिति उत्पन्न होती है |

  1. What do you understand by economic development?

ANS:- Economic development refers to that process as a result of which all the means of production of the country are efficiently exploited. Simultaneously, there is a continuous and long-term increase in national income and per capita income and a situation of improvement in the standard of living and human development index arises.

Long Question

  1. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें । इसकी गणना की प्रमुख विधि कौन-कौन सी है ?

ANS:- भारत मे सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अनुमान 1868 ई0 में दादाभाई नौरोजी ने लगाया था। उन्होंने तत्कालीन भारत मे प्रति व्यक्ति आय 20 रू वार्षिक बताया था।

राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिए वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति प्रोफेसर वी0 के0 आर0 वी0 राव थे।

स्वतंत्र भारत में 1949 में पी सी महालनोबिस की अध्यक्षता में राष्ट्रीय आय समिति का गठन किया गया। जिसमें राष्ट्रीय आय से संबंधित अपने दो रिपोर्ट प्रस्तुत की किंतु इसी बीच इस कार्य को ठीक से करने के लिए एक स्थाई संगठन स्थापित किया गया, जिसका नाम केंद्रीय सांख्यिकी संगठन है।इसकी स्थापना 1951 में की गई केन्द्रीय साख्यिकी संगठन साख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के अंतर्गत कार्य करता है।वर्तमान समय में भी यही संस्था राष्ट्रीय आय सम्बन्धी आंकड़े प्रस्तुत करती हैं।

‎चूंकि पी सी महालनोबिस का जन्म दिवस 29 जून को आता है अतः इस दिवस को राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस के रुप में मनाया जाता है। राष्ट्रीय आय की माप(गणना) की विधि

 

राष्ट्रीय आय की माप के लिये मुख्यतया तीन विधियों का प्रयोग किया जाता है :-

  1. उत्पाद विधि (Value Added Method)
  2. आय विधि (Income Method)
  3. व्यय विधि (Expenditure Method)

 

भारत में राष्ट्रीय आय की माप के लिए उत्पादन विधि तथा आय विधि के मिश्रित रूप का प्रयोग किया जाता है। जबकि व्यय विधि का प्रयोग अत्यंत नगण्य होता है क्योंकि भारत में इसके पर्याप्त आंकड़े उपलब्ध नहीं है।

 

 

 

 

  1. Give the definition of national income. What is the main method of its calculation?

ANS:- The first estimate of national income in India was done by Dadabhai Naoroji in 1868 AD. He had told the per capita income in the then India to be Rs 20 per annum.

Professor V. K. R. V. Rao was the first person to use the scientific method for estimating national income. In independent India in 1949, the National Income Committee was formed under the chairmanship of PC Mahalanobis. In which he presented his two reports related to national income, but in the meantime a permanent organization was established to do this work properly, which is named Central Statistical Organization. It was established in 1951 under the Ministry of Statistics and Program Implementation. Works under. In the present time also, this institution presents data related to national income. Since the birthday of PC Mahalanobis falls on 29th June, this day is celebrated as National Statistics Day. Method of Measurement (Calculation) of National Income

There are mainly three methods used for the measurement of national income:-

  1. Value Added Method
  2. Income Method
  3. Expenditure Method

In India, a mixture of production method and income method is used for the measurement of national income. Whereas the use of expenditure method is very negligible because in India its sufficient data is not available.

 

 

  1. राष्ट्रीय आय की परिभाषा दें । इसकी गणना की प्रमुख विधि कौन-कौन सी है ?

ANS:- भारत मे सर्वप्रथम राष्ट्रीय आय का अनुमान 1868 ई0 में दादाभाई नौरोजी ने लगाया था। उन्होंने तत्कालीन भारत मे प्रति व्यक्ति आय 20 रू वार्षिक बताया था।

राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिए वैज्ञानिक विधि का प्रयोग करने वाले सर्वप्रथम व्यक्ति प्रोफेसर वी0 के0 आर0 वी0 राव थे।

 

  1. Give the definition of national income. What is the main method of its calculation?

ANS:- The first estimate of national income in India was done by Dadabhai Naoroji in 1868 AD. He had told the per capita income in the then India to be Rs 20 per annum.

Professor V. K. R. V. Rao was the first person to use the scientific method for estimating national income.

 

  1. उपभोक्ता के कौन-कौन अधिकार है ? प्रत्येक अधिकार को सोदाहरण लिखें ।

ANS:- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के अनुसार, उपभोक्ताओं के अधिकार निम्नलिखित है |
1-सुरक्षा का अधिकार–उपभोक्ता को एक सुरक्षित वस्तु अथवा सेवा प्राप्त करने का अधिकार है | वस्तु के उपयोग या उपभोग से उसके जान-माल को कोई खतरा नहीं होना चाहिए | उदाहरण के लिए, किसी ख़रीदे गए विधुत-उपकरण से बिजली का झटका नहीं लगना चाहिए या किसी खाद्य वस्तु में सेहत के लिए कोई हानिकारक पदार्थ न हो |

2-सूचना का अधिकार–वस्तु या सेवा खरीदने के लिए आवश्यक जानकारी या सूचना प्राप्त करने का अधिकार उपभोक्ता को है | जैसे–पैकेट बंद खाद्य सामग्री के उत्पादन में उपयोग किए गए अवयवों की सूची, वस्तु का वजन, मूल्य, निर्माता का नाम एवं पता, निर्माण की तिथि, इस्तेमाल करने की अंतिम तिथि, निरामिष, सामिष इत्यादि की सूचना पैकेट पर छपी होनी चाहिए |

3-चुनाव करने का अधिकार–उपभोक्ता अपने पैसे को किसी भी ब्रांड, किस्म, रंग, रूप, आकारवाली वस्तुओं पर खर्च करने को स्वतंत्र है |

4-सुनवाई का अधिकार–उपभोक्ता अपने हितों की रक्षा के लिए अपनी आवाज उपयुक्त मंच पर उठा सकते है तथा अपनी शिकायत दर्ज करा सकते है |

5-शिकायत निवारण या क्षतिपूर्ति का अधिकार–यदि उपभोक्ता न्यायलय में उपभोक्ता की शिकायत सही पाई जाती है, तो उसे उचित मुआवजा दिए जाने का प्रावधान है |

6-शिक्षा का अधिकार–उपभोक्ताओं के प्रति हो रही धोखाधड़ी के बारे में जानकारों का प्रचार-प्रसार आवश्यक है | उपभोक्ता शिक्षित और सजग रहकर अपना संरक्षण कर सकता है |

 

  1. What are the rights of the consumer? Write an example for each right.

ANS: – According to the Consumer Protection Act, 1986, the following are the rights of consumers.

1-Right to Security–The consumer has the right to get a safe article or service. There should be no danger to life or property from the use or consumption of the article. For example, a purchased electrical appliance should not be subject to an electric shock or any food item should not contain any harmful substance to health.

2- Right to Information – The consumer has the right to get information or information necessary to buy goods or services. For example, the list of ingredients used in the production of packaged food items, the weight of the item, the price, the name and address of the manufacturer, the date of manufacture, the last date of use, the formula, the ingredients, etc., should be printed on the packet.

3- Right to choose – Consumer is free to spend his money on goods of any brand, variety, colour, form, shape.

4- Right to be heard- Consumers can raise their voice on the appropriate forum to protect their interests and register their complaints.

5- Right to Grievance Redressal or Compensation- If the consumer’s complaint is found to be true in the consumer court, then there is a provision to give proper compensation to him.

6-Right to Education–It is necessary to disseminate information about frauds happening towards consumers. Consumer can protect himself by being educated and alert.

आपदा प्रबंधन

  1. सुखाड़ के उत्तरदाई कारकों का वर्णन करें ?

ANS:- देश में प्रमुख बांधों की कुल संख्या इस समय 91 है जिनमें तकरीबन 77 फीसदी तक पानी कम हो गया है। इन प्रमुख बांधों की कुल जल संग्रहण क्षमता 15,759 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) है, जो घटकर इस समय सिर्फ 3,583 बीसीएम पर आ गई है। यह स्थिति 21 अप्रैल 2016 तक की है। … मॉनसून जून में आएगा, तब तक पानी की कमी और किल्लत और बढ़ेगी।

 

  1. Describe the factors responsible for drought?

ANS:- The total number of major dams in the country is at present 91 in which the water has reduced to about 77 percent. The total water storage capacity of these major dams is 15,759 Billion Cubic Meter (BCM), which has come down to just 3,583 BCM at present. This position is as of April 21, 2016. … Monsoon will arrive in June, by then the water shortage and scarcity will increase further.

  1. मानव जनित आपदाओं का संक्षिप्त विवरण दीजिए?

ANS:- उदाहरण के लिये- आग, दुर्घटनाएँ (सड़क, रेल या वायु) औद्योगिक दुर्घटनाएँ या महामारी मानव निर्मित आपदाओं के कुछ उदाहरण हैं। प्राकृतिक और मानवनिर्मित दोनों ही आपदा भयानक विनाश करती हैं। मानव जीवन की क्षति, जीविका उपार्जन के साधनों, सम्पत्ति और पर्यावरण का अवक्रमण इन आपदाओं का परिणाम होता है

  1. Give a brief description of man-made disasters?

ANS:- For example- fire, accidents (road, rail or air), industrial accidents or epidemics are some examples of man-made disasters. Both natural and man-made disasters cause terrible destruction. Loss of human life, means of earning livelihood, degradation of property and environment are the result of these disasters.

 

 

 

  1. बाढ़ से होने वाली हानियों की विवेचना कीजिए ?

ANS:- उपर्युक्त भौगोलिक कारकों के अतिरिक्त मानवीय कारक भी इसके लिये ज़िम्मेदार हैं। यह भी ध्यान देने योग्य है कि प्रत्येक वर्ष आने वाली बाढ़ से बड़ी मात्रा में जन-धन की हानि होती है, साथ ही इससे सर्वाधिक नकारात्मक रूप से समाज का सबसे गरीब वर्ग प्रभावित होता है।

  1. Discuss the damages caused by floods?

ANS:- Apart from the above mentioned geographical factors, human factors are also responsible for this. It is also worth noting that the floods that occur every year cause huge loss of life and property, as well as most negatively affect the poorest section of the society.

  1. जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ?

ANS:- जीवन रक्षक आकस्मिक प्रबंधन से आप क्या समझते हैं ? उत्तर – आपदा की घड़ी में आकस्मिक प्रबंधन को जीवन रक्षक प्रबंध कहते हैं । यह किसी प्रशासन की सफलता की कसौटी होती है । इसके अंतर्गत आपदा के जाते ही प्रभावित लोगों को आपदा से निजात दिलाना ही प्रमुख उद्देश्य होता है ।

 

 

  1. What do you understand by life saving emergency management?

ANS:- What do you understand by Life Saving Contingency Management? Answer – In times of disaster, emergency management is called life saving management. It is the criterion of success of any administration. Under this, the main objective is to get rid of the affected people from the disaster as soon as the disaster is gone.

 

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