BSEB 10th Non Hindi Baalgobin bhagat बालगोबिन भगत Subjective question

बालगोबिन भगत

प्रश्न 1. बालगोबिन भगत गृहस्थ थे । फिर भी उन्हें साधु क्यों कहा जाता था ?

उत्तर- बालगोबिन बेटा – पतोहु वाले गृहस्थ थे लेकिन उनका आचरण साधु जैसा था । साधु आडम्बरों या अनुष्ठानों के पालन के से नहीं होता । यदि कोई जटाजुट बढ़ा लें तो साधु नहीं हो सकता । वस्तुतः साधु वह है जो आचरण में शुद्धता रखता है । बालगोबिन भगत की दिनचर्या कर्त्तव्यनिष्ठता और आत्म ज्ञान उन्हें साधु बना दिया था ।

प्रश्न 2. भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर अपनी भावनाएँ किस तरह व्यक्त की ?

उत्तर- भगत ने अपने बेटे की मृत्यु पर विलाप नहीं करते दिखे । बल्कि मग्न हो गीत गा रहे थे उनकी भावना का वह चरम उत्कर्ष था । वो अपने पतोहु से कहते थे- आनन्द मनाओ । एक आत्मा परमात्मा से मिल गया । उनकी भावना थी कि मृत्यु के बाद आत्मा – परमात्मा से मिल जाता है जो आनन्ददायक बात है । इस भावना को वे संगीत से तथा पतोहु को यथार्थता का ज्ञान देकर भावना को व्यक्त कर रहे थे ।

प्रश्न 3. पुत्र – वधु द्वारा पुत्र की मुखारिन दिलवाना भगत के व्यक्तित्व की किस विशेषता को दर्शाता है ?

उत्तर – विवाह के बाद पति पर पत्नी का सबसे अधिक अधिकार है । कर्तव्य सबसे अधिक पति के प्रति ही होता है । गृहस्थ आश्रम में दोनों एक – दूसरे के पूरक हैं । अत : पतोडु को सबसे बड़ा अधिकारी मान उसी से मुखाग्नि दिलवाया । यह क के व्यक्तित्व की सच्चाई और महानता को दर्शाता है ।

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