BSEB 10th Non Hindi bihari ke dohe बिहारी के दोहे Subjective question

बिहारी के दोहे

1.उन पदों को लिखिए जिनमें निम्न बातें कही गई हैं ।

( क ) बाह्याडंबर व्यर्थ है । उत्तर- जप माला छापै तिलक सांचे राँचै रामु ॥

( ख ) नम्रता का पालन करने से ही मनुष्य श्रेष्ठ बनता है । उत्तर- नर की अरू नल नीर ऊँचो होय ।। …………  

( ग ) बिना गुण के कोई बड़ा नहीं होता । उत्तर – बड़े न हूजै गुनन . गहनो गढ़यो न जाय ॥

 ( घ ) सुख – दुःख समान रूप से स्वीकारना चाहिए । उत्तर- दीरघ साँस न लेहु दई सु कबुली ॥

2. दुर्जन का साथ रहने से अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती । इसकी उपमा में कवि ने क्या कहा है ?

उत्तर – दुर्जन की संगति पाकर या सत्संगति के अभाव में मनुष्य को अच्छी बुद्धि नहीं मिल सकती है इसके लिए उपमा देते हुए कवि ने कहा है कि हींग को कपुर में डाल देने से उसमें कपुर की सुगन्ध नहीं आ सकती है ।

 3 . रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए प्रश्नोत्तर –

( क ) नर की अरू नल नीर की गति एक करी जोय । जेतो नीचौ हवै चलै तेतो ऊँचो होय ॥

 ( ख ) जपमाला छापै , तिलक सरै न एकौ कामु । मन – काँचै नाचे वृथा , साँचै राँचे रामु ॥(ग) बड़े न हूजै गुनन बिनु , बिरद बड़ाई पाय । कहत धतूरे सो कनक , गहनो गढ्यो न जाय ॥ दीरघ साँस न लेहु दुख , सुख साई हिन भूल दई – दई क्यों करतू है , दई दई सु कबूलि ।

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