ठेस
प्रश्न 1. गाँव के किसान सिरचन को क्या समझते थे ?
उत्तर- गाँव के किसान सिरचन को कामचोर , बेकार का आदमी , धीरे – धीरे काम करने वाला माप – तौलकर काम करने वाला मुफ्त में मजदूरी पाने वाला समझते थे ।
प्रश्न 2. इस कहानी में आये हुए विभिन्न पात्रों के नाम लिखें ।
उत्तर- इस कहानी के नायक सिरचन साथ – साथ रेणु जी , रेणु जी की माँ , चाची , मंगल भाभी , मानू दीदी इत्यादि पात्र हैं ।
3. सिरचन को पान का बीड़ा किसने दिया था ?
उत्तर- मानू दोदी ने ।
4. निम्नलिखित गद्यांशों को कहानी के अनुसार क्रमबद्ध रूप में सजाइए ।
उत्तर- ( ख ) मुझे याद है …………. क्या – क्या लगेगा । (क ) उस बार मेरी सबसे छोटी बिना आएगी मानू तो । ( ग ) मान फूट – फूट कर ………….. देख रहा था ।
5. निम्नलिखित वाक्यों के सामने सही ( ) या गलत ( x ) का निशान लगाइए ।
( क ) सिरचन कामचोर था । ( X )
( ख ) सिरचन अपने काम में दक्ष था । ()
( ग ) सिरचन बात करने में भी कारीगर था । ()
( घ ) सिरचन वकील था । (x )
6. कहानी के किन – किन प्रसंगों से ऐसा प्रतीत होता है कि सिरचन अपने काम को ज्यादा तरजीह देता था उल्लेख कीजिए ।
उत्तर- कहानी के अनेक प्रसंगों से प्रतीत होता है कि सिरचन अपने काम को ज्यादा वही देता था । रेणु जी के घर मानू दीदी की विदाई के पूर्व शीतलपाटी और चिक बनाने के लिए सिरचन को बुलाया जाता है । वह अपने काम में तन्मय हो गया । अगर उसकी तन्मयता में विघ्न डाले तो वह गेहूँमन साँप की तरह फुफकार उठता और काम छोड़कर चला जाता । फिर वह काम अधूरा ही रह जाता था । कहानी प्रसंग में दूसरे दिन जब वह अपने काम में लगा तो उसे खाने – पीने की सुधि ही नहीं रही । उसे चुड़ा – गुड़ खाने को मिलता है । वह केवल चुड़ा फाँक रहा है । गुड़ का ठेला या ही अछुता पड़ा है । चुड़ा चबाते समय भी वह अपने काम में तन्मय है । उसे कुछ सुधि नहीं है कि चुड़ा के साथ गुड़ भी खाना है । इससे स्पष्ट है कि वह भोजन की अपेक्षा अपने काम को ज्यादा तरजीह देता था ।
7 . इस कहानी में कौन – सा पात्र आपको सबसे अच्छा लगा और क्यों ?
उत्तर- इस कहानी में हमें सबसे अच्छा पात्र सिरचन लगा क्योंकि सिरचन मानवीय गुण से भरा है । वह जिस काम को करता है । प्रेम से करता है । उसकी कारीगरी के कायल दूर – दूर गाँव के लोग थे । वह स्वाभिमानी और सम्मानप्रिय व्यक्ति है । उसे खाना जो भी मिले वह अपने काम को तरजीह देता था । किसी की जली – कटी बातें सुनकर या अपने कारीगरी के प्रति आरोपों को सुनकर वह काम छोड़ देता । जिस काम को छोड़ देता वह काम अधूरा ही रह जाता । कहानी के अंत में सिरचन की आत्मीय गुण चरम पर दिखता है जब मानू विदाई होकर स्टेशन पर गाड़ी में सवार है । गाड़ी खुलने के समय में सिरचन दौड़ता हाँफता गट्ठर मानू दीदी को देते हुए कहता है दीदी यह हमारे तरफ से शीतलपाटी , चिक और कुश की आसानी है ।