Class 10 Science NCERT Solutions in Hindi Chapter – 4 विद्युत धारा का चुम्बकीय प्रभाव
1. चुंबक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित क्यों हो जाती है ?
उत्तर :-चुम्बक के निकट लाने पर दिक्सूचक की सुई विक्षेपित इसलिए हो जाती है क्योंकि दिक्सूचक की सुई की नोक चुम्बक के ध्रुव की भांति कार्य करता है। जब सुई को दंड चुंबक के पास लाया जाता है जो ये सुई को आकर्षित अथवा प्रतिकर्षित करता है जिससे विक्षेपित होता है |
Q1. किसी छड़ चुंबक के चारों ओर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ खींचिए।
उत्तर :-
Q2. चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं के गुणों की सूची बनाइए।
उत्तर :-चुम्बकीय क्षेत्र रेखाओं के निम्नलिखित गुण हैं–
(i) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ उत्तरी ध्रुव से निकलकर दक्षिणी ध्रुव में समाहित हो जाती है।
(ii) चुम्बक के अंदर, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा इसके दक्षिणी ध्रुव से उत्तरी ध्रुव की ओर होता है|
(iii) चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ बंद वक्र होती हैं।
(iv) जहाँ चुम्बकीय क्षेत्र रेखाए घनी होती हैं वहाँ चुम्बकीय क्षेत्र मजबूत होता है ।
(v) दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ कभी एक दुसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती हैं।
Q3. दो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ एक–दूसरे को प्रतिच्छेद क्यों नहीं करतीं?
उत्तर :- दो चुम्बकीय क्षेत्र रेखाएँ एक दूसरे को प्रतिच्छेद नहीं करती है क्योंकि प्रतिच्छेद बिन्दु पर दिक्सूची रखने पर दो दिशाओं की ओर संकेत करेगा जो संभव नहीं हैं।
Q1. मेज के तल में पड़े तार के वृत्ताकार पाश पर विचार कीजिए। मान लीजिए इस पाश मेंदक्षिणावर्त विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है। दक्षिण–हस्त अंगुष्ठ नियम को लागू करके पाशके भीतर तथा बाहर चुंबकीय क्षेत्र की दिशा ज्ञात कीजिए
उत्तर :- दी गई आकृति एक वृताकार पाश का है जिसकी चुंबकीय क्षेत्र को दर्शाया गया है | दक्षिण अंगुष्ठनियम लागु करने पर हम पाते हैं कि चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ पाश के अंदर मेज के तल की लंबवत बाहर कीओर निर्देशित होती है जबकि पाश के बहार यह अंदर की ओर निर्देशित होती है |
Q2. किसी दिए गए क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान है। इसे निरूपित करने के लिए आरेख खींचिए।
उत्तर :- जब किसी क्षेत्र में चुंबकीय क्षेत्र एकसमान हो तो रेखायें एक–दुसरे के समान्तर, समान दुरी पर औरसमान लंबाई की होती हैं।
Q3. सही विकल्प चुनिएः
किसी विद्युत धरावाही सीधी लंबी परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र–
(a) शून्य होता है।
(b) इसके सिरे की ओर जाने पर घटता है।
(c) इसके सिरे की ओर जाने पर बढ़ता है।
(d) सभी बिंदुओं पर समान होता है।
उत्तर :- (d) सभी बिन्दुओं पर सामान रहता है।
Q1. किसी प्रोटॉन का निम्नलिखित में से कौन–सा गुण किसी चुबंकीय क्षेत्र में मुक्त गति करते समयपरिवर्तित हो जाता है? (यहाँ एक से अधिक सही उत्तर हो सकते हैं।)
(a) द्रव्यमान,
(b) चाल,
(c) वेग
(d) संवेग
उत्तर :- (c) वेग और (d) संवेग
Q2. क्रियाकलाप 13.7 में हमारे विचार से छड़ AB का विस्थापन किस प्रकार प्रभावित होगा यदि
(i) छड़ AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए
(ii) अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए, और
(iii) छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए?
उत्तर :- (i) यदि छड AB में प्रवाहित विद्युत धारा में वृद्धि हो जाए तो छड के विस्थापन में भी वृद्धि होती है |
(ii) यदि अधिक प्रबल नाल चुंबक प्रयोग किया जाए तो छड AB का विस्थापन भी बढेगा |
(iii) यदि छड़ AB की लंबाई में वृद्धि कर दी जाए तो इस पर लगने वाला बल भी बढेगा क्योंकि विस्थापनबढ़ता है |
Q3. पश्चिम की ओर प्रक्षेपित कोई धनावेशित कण (अल्फ़ा–कण) किसी चुंबकीय क्षेत्र द्वारा उत्तर कीओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्र की दिशा क्या है?
(a) दक्षिण की ओर
(b) पूर्व की ओर
(c) अधोमुखी
(d) उपरिमुखी
उत्तर :- (d) उपरिमुखी
Q1. फ्लेमिंग का वामहस्त नियम लिखिए।
उत्तर :- फ्लेमिंग का वामहस्त नियम :
इस नियम के अनुसार, अपने बाएँ हाथ की तर्जनी, मध्यमा तथा अँगूठे को इस प्रकार फैलाइए कि ये तीनोंएक–दूसरे के परस्पर लंबवत हों | यदि तर्जनी चुंबकीय क्षेत्रा की दिशा और मध्यमा चालक में प्रवाहित विद्युतधारा की दिशा की ओर संकेत करती है तो अंगूठा चालक की गति की दिशा अथवा चालक पर आरोपित बलकी दिशा की ओर संकेत करेगा। इसी नियम को फ्लेमिंग का वामहस्त नियम कहते है।
Q2. विद्युत मोटर का क्या सिद्धांत है?
उत्तर :- विद्युत मोटर का सिद्धांत :-
विद्युत मोटर का कार्य करने का सिद्धांत विद्युत धारा के चुंबकीय प्रभाव पर आधारित है। चुंबकीय क्षेत्र मेंलौह–क्रोड़ पर लिपटी कुंडली से जब विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो वह एक बल का अनुभव करती हैजिससे मोटर का आर्मेचर चुंबकीय क्षेत्र में घूमने लगता है | कुंडली के घूमने की दिशा फ्लेमिंग के वामहस्तनियम के अनुसार होता है | यही विद्युत मोटर का सिद्धांत हैं |
Q3. विद्युत मोटर में विभक्त वलय की क्या भूमिका है?
उत्तर :- विद्युत मोटर में विभक्त वलय दिक्–परिवर्तक का कार्य करता है | दिक्–परिवर्तक एक युक्ति है जोपरिपथ में विद्युत धारा के प्रभाव को उत्क्रमित कर देता है।
Q1. किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रेरित करने के विभिन्न ढंग स्पष्ट कीजिए |
उत्तर :-
(i) कुन्डली को किसी चुम्बकीय क्षेत्र में गति कराकर ।
(ii) कुन्डली के चारों ओर के चुम्बकीय क्षेत्र में परिवर्तन कराकर ।
Q1. विद्युत जनित्र का सिद्धांत लिखिए |
उत्तर :- विद्युत जनित्र का सिद्धांत विद्युत चुंबकीय प्रेरण (इलेक्ट्रोमैग्नेटिक इंडक्शन) पर आधारित है। जब एकआयताकार कुंडली को एक सामान चुंबकीय क्षेत्र में घुमाया जाता है तो यह कुंडली के सिरों पर प्रेरित विद्युतउत्पन्न करता है | यही विद्युत जनित्र का सिद्धांत है।
Q2. दिष्ट धारा के कुछ स्रोत के नाम लिखिए |
उत्तर :- सेल, बैट्री और D.C जनित्र या डायनेमो आदि दिष्ट धारा के स्रोत हैं।
Q3. प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करने वाले स्रोतों का नाम लिखिए।
उत्तर :- A.C जनित्र और इनवर्टर आदि जो प्रत्यावर्ती विद्युत धारा उत्पन्न करते हैं।
Q4. सही विकल्प का चयन कीजिए–
ताँबे के तार की एक आयताकार कुंडली किसी चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णी गति कर रही है। इसकुंडली प्रेरित विद्युत धारा की दिशा मेंकितने परिभ्रमण के पश्चात परिवर्तन होता है?
(a) दो
(b) एक
(c) आधा
(d) चौथाई
उत्तर :- (c) आधा
Q1. विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नामलिखिए।
उत्तर :- विद्युत परिपथों तथा साधित्रों में सामान्यतः उपयोग होने वाले दो सुरक्षा उपायों के नाम हैं –
(i) फ्यूज का उपयोग और
(ii) भूमि संपर्क तार का उपयोग |
Q2. 2kW शक्ति अनुमतांक का एक विद्युत तंदूर किसी घरेलू विद्युत परिपथ (220 V) में प्रचालितकिया जाता है जिसका विद्युत धारा अनुमतांक 5 है, इससे आप किस परिणाम की अपेक्षा करते हैं?स्पष्ट कीजिए।
उत्तर :- विद्युत तंदूर की शक्ति (P) = 2kW = 2000 W
अतः विद्युत तंदूर द्वारा ली गई धारा (I) = P / V
= 2000/220 = 9 A (लगभग)
जबकि विद्युत परिपथ का विद्युत धारा अनुमतांक 5A है और तंदूर 9 A की दर से धारा लेता है, इसलिएVयह परिपथ अतिउष्मता अथवा अतिभारण के कारण टूट जायेगा |
Q3. घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
उत्तर :-
घरेलू विद्युत परिपथों में अतिभारण से बचाव के लिए निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए |
(i) एक अकेले शोकेट से एक से अधिक उपकरण नहीं जोड़ने चाहिए |
(ii) हमेशा परिपथ में विद्युत उपकरण पार्श्व क्रम में ही संयोजित करने चाहिए |
(iii) परिपथ में उपयुक्त फ्यूज का उपयोग करना चाहिए |
(iv) अतिभारण से बचाने के लिए एक ही समय में अधिक विद्युत उपकरणों का उपयोग नहीं करना चाहिए |
Q1. निम्नलिखित में से कौन किसी लंबे विद्युत धरावाही तार के निकट चुंबकीय क्षेत्र का सही वर्णनकरता है?
(a) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के लंबवत होती हैं।
(b) चुंबकीय क्षेत्र की क्षेत्र रेखाएँ तार के समांतर होती हैं।क्षेत्र रेखाएँ अरीय होती हैं।
(c) चुंबकीय क्षेत्रका उदभव तार से होता है।
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
उत्तर :-
(d) चुंबकीय क्षेत्र की संकेंद्री क्षेत्र रेखाओं का केंद्र तार होता है।
Q2. वैद्युतचुंबकीय प्रेरण की परिघटना–
(a) किसी वस्तु को आवेशित करने की प्रक्रिया है।
(b) किसी कुंडली में विद्युत धारा प्रवाहित होने के कारण चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करने की प्रक्रिया है।
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
(d) किसी विद्युत मोटर की कुंडली को घूर्णन कराने की प्रक्रिया है।
उत्तर :-
(c) कुंडली तथा चुंबक के बीच आपेक्षिक गति के कारण कुंडली प्रेरित विद्युत धारा उत्पन्न करना है।
Q3. विद्युत धारा उत्पन्न करने की युक्ति को कहते हैं।
(a) जनित्र
(b) गैल्वेनोमीटर
(c) ऐमीटर
(d) मोटर
उत्तर :-
(a) जनित्र
Q4. किसी ac जनित्रा तथा de जनित्र में एक मूलभूत अंतर यह है कि–
(a) ac जनित्र में विद्युत चुंबक होता है जबकि de मोटर में स्थायी चुंबक होता है।
(b) de जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(c) ac जनित्र उच्च वोल्टता का जनन करता है।
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
उत्तर :-
(d) ac जनित्र में सर्पी वलय होते हैं जबकि कब जनित्र में दिक्परिवर्तक होता है।
Q5. लघुपथन के समय परिपथ में विद्युत धारा का मान–
(a) बहुत कम हो जाता है।
(b) परिवर्तित नहीं होता।
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
(d) निरंतर परिवर्तित होता है।
उत्तर :-
(c) बहुत अधिक बढ़ जाता है।
Q6. निम्नलिखित प्रकथनों में कौन–सा सही है तथा कौन–सा गलत है? इसे प्रकथन के सामने अंकितकीजिए–
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है।
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है।
उत्तर :-
(a) विद्युत मोटर यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित करता है। (गलत)
(b) विद्युत जनित्र वैद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। (सही)
(c) किसी लंबी वृत्ताकर विद्युत धरावाही कुंडली के केंद्र पर चुंबकीय क्षेत्र समांतर सीधी क्षेत्र रेखाएँ होता है।(सही)
(d) हरे विद्युतरोधन वाला तार प्रायः विद्युन्मय तार होता है। (गलत)
Q8. परिनालिका चुंबक की भाँति कैसे व्यवहार करती है? क्या आप किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसीविद्युत धरावाही परिनालिका के उत्तर ध्रुव तथा दक्षिण ध्रुव का निर्धरण कर सकते हैं?
उत्तर :- परिनालिका चुंबक की भांति व्यवहार करती है। इसका एक सिरा उत्तर ध्रुव तथा दूसरा सिरा दक्षिण ध्रुव की तरह व्यवहार करता है। परिनालिका के भीतर चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं समांतर सरल रेखाओं की भांति होती है। किसी छड़ चुंबक की सहायता से किसी विद्युत् धारावाही परिनालिका के दोनों ध्रुवों का निर्धारण किया जा सकता है।
Q9. किसी चुंबकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत धरावाही चालक पर आरोपित बल कब अधिकतम होता है?
उत्तर:- किसी चुम्बकीय क्षेत्र में स्थित विद्युत् धारावाही चालक पर आरोपित बल तब अधिकतम होता है जब चालक में प्रवाहित विद्युत् धारा की दिशा चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा के लम्बवत होती है। (यानी जब दोनों के बीच का कोण 90 डिग्री होता है)।
Q10. मान लीजिए आप किसी चैंबर में अपनी पीठ को किसी एक दीवार से लगाकर बैठे हैं। कोई इलेक्ट्रॉनपुंज आपके पीछे की दीवार से सामने वाली दीवार की ओर क्षैतिजतः गमन करते हुए किसी प्रबल चुंबकीयक्षेत्रा द्वारा आपके दाईं ओर विक्षेपित हो जाता है। चुंबकीय क्षेत्रा की दिशा क्या है?
उत्तर :- फ्लेमिंग के वामहस्त नियम के अनुसार, चुम्बकीय क्षेत्र की दिशा नीचे की ओर होगी।
Q11. विद्युत मोटर का नामांकित आरेख खींचिए। इसका सि (अंत तथा कार्यविध् स्पिष्ट कीजिए। विद्युतमोटर में विभक्त वलय का क्या महत्त्व है?
उत्तर :-
सिद्धांत-जब अनेक कुंडलियों से युक्त धारा का संवहन करती एक आयताकार कुंडली को शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है तो यह यांत्रिक बल का कार्य करती हुई निरंतर घूमती है। यह सिद्धांत पूर्ण रूप से गैल्वनोमीटर तथा अन्य विद्युत् उपकरणों की तरह कार्य करता है। यह फ्लेमिंग के बायें हाथ सिद्धांत पर आधारितरचना- विद्युत् मोटर के निम्नलिखित भाग हैं-
(i) केंद्रक (Core)—यह नर्म लोहे का बना सिलेंडर है जिसे एक धुरे पर लगाया जाता है। धुरा सरलता से घूम सकने वाली बॉल-बियरिंग पर टिका होता है। इसके एक तरफ शेफ्ट लगा होता है जो शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने का कार्य करता है जब इसके चारों ओर की कुंडली से धारा प्रवाहित की जाती है।
(ii) कुंडली (Coil)— नर्म लोहे के टुकड़े को केंद्र मान कर उस पर ताँबे की तार को अनेक बार लपेट कर कुंडली बनाई जाती है जिसे चित्र में ABCD के रूप में दिखाया गया है। इसका कार्य विद्युत् क्षेत्र को बनाना है। इसमें से विद्युत् धारा प्रवाहित की जाती है।
(iii) कॉम्यूटेटर (Commutator)—दो बँटी हुए S1 और S2 मुद्रिकाएँकॉम्यूटेटर को प्रदर्शित करती हैं। इनके सिरों को कुंडली के साथ जोड़ दियाजाता है। इसके बीचो-बीच से धुरा गुजरता है। इसका कार्य प्रत्येक अर्ध चक्र के बाद विद्युत् धारा की दिशा को बदलना है।
(iv) ब्रश (Brushes)-B1 और B2 कार्बन या गनमैटल के बने हुए ब्रुश हैं जो कड़ियों S1 और S2 के साथ मजबूती से संबंध बनाए रखते हैं। घूमती हुई कुंडली को निरंतर विद्युत् धारा प्रवाहित कराते रहना इनका कार्य है।
(V) अवतल बेलनाकार चुंबक (Concave Cylindrical Magnet)- कुंडली को अवतल बेलनाकार चुंबक के बीच में रखा जाता है। इसका कार्य शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र को बनाना है ताकि यांत्रिक ऊर्जा की प्राप्ति की जा सके।
(vi) बैटरी (Battery)-दिष्ट विद्युत् धारा (D.C.) या अनेक सैलों की बैटरी को शक्ति स्रोत के रूप में प्रयुक्त किया जाता है। इसका कार्य कुंडली को धारा प्रदान करना है।
कार्य (Working)—जब ABCD कुंडली क्षैतिज स्थिति में अवतल सिलंडरीकल चुंबकों के बीच में होती है तो चुंबकीय क्षेत्र कुंडली के समांतर होता है। जब कुंडली में से विद्युत् धारा गुजारते हैं तो चुंबकीय क्षेत्र को उत्पन्न करता है जो कुंडली के तल के साथ समकोण बनाता है। कुंडली चुंबकीय जोड़े के प्रभाव से घूम जाती है। फ्लेमिंग के बायें हाथ के नियम के अनुसार AB खंड ऊपर की ओर घूमेगा। कुंडली के खंड CD में विद्युत् धारा C से D और चुंबकीय क्षेत्र उत्तर से दक्षिण की ओर घूमता है। CD नीचे की ओर गति करेगा। दो बराबर और परस्पर विरोधी शक्तियां कुंडली पर घड़ी की सूई की दिशा (Clock wise) कार्य करती हैं और उसे घुमाती हैं। जैसे ही कुंडली 90° पर घूमती है इसका चुंबकीय क्षेत्र अवतल बेलनाकार चुंबक के चुंबकीय क्षेत्र के समांतर हो जाता है जिस कारण यह रुक जाता है पर संवेग के कारण यह अपना चक्कर पूरा कर लेता है जब तक कि यह 180° पूरा नहीं कर लेता। कड़ी S1 180° के बाद कॉम्यूटेटर के ब्रश B2 के साथ जुड़ती है और कड़ी S2 ब्रश B1 से अलग हो जाती है। इससे कुंडली में CDAB से BADC धारा की Mदिशा का प्रत्यावर्तन हो जाता है। इस प्रकार कुंडली निरंतर घड़ी की सूई की दिशा में घूमने लगती है। विद्युत् मोटर में विभक्त वलय दिक्परिवर्तक का कार्य करता है। यह परिपथ में विद्युत्धारा के प्रवाह को उत्क्रमित करने में सहायता देता है। विद्युत्धारा के उत्क्रमित होने पर दोनों भुजाओं पर आरोपित बलों की दिशाएँ भी उत्क्रमित हो जाती हैं। कुंडली की पहली भुजा को पहले नीचे धकेली गई थी वह ऊपर धकेली जाती है और ऊपर वाली भुजा नीचे धकेल दी जाती है। प्रत्येक आधे घूर्णन के बाद यह क्रम दोहराया जाता है और कुंडली और धुरी का लगातार घूर्णन होता रहता है।
Q12. ऐसी कुछ युक्तियों के नाम लिखिए जिनमें विद्युत मोटर उपयोग किए जाते हैं।
उत्तर :- विद्युत मोटर का उपयोग विद्युत पंखों, रेफ्रिजरेटरों, विद्युत् मिश्रकों, वाशिंग मशीनों, कंप्यूटों, MP3 प्लेयरों आदि में किया जाताहै।
प्रश्न 13. कोई विद्युत् रोधी ताँबे की तार की कुंडली किसी गैल्वनोमीटर से संयोजित है। क्या होगा यदि कोई छड़ चुंबक
(I) अब कुंडली में धकेला जाता है?
(II) कुंडली के भीतर से बाहर खींचा जाता है?
(III) कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है?
‘उत्तर :- (I) जैसे ही छड़ चुंबक कुंडली में धकेला जाता है वैसे ही गैल्वनोमीटर की सूई में क्षणिक विक्षेप होता है। यह कुंडली में विद्युत धारा की उपस्थिति का संकेत देता है।
(II) जब चुंबक को कंडली के भीतर से बाहर खौंचा जाता है तो सुई में क्षणिक विक्षेप होता है पर विपरीत दिशा में होता है।
(III) यदि चुंबक को कुंडली के भीतर स्थिर रखा जाता है तो कुंडली में कोई बिद्युत् धारा उत्पन्न नहीं होती। विश्लेप शून्य हो जाता है।
प्रश्न 14. दो वृत्ताकार कुंडली A तथा B एक-दूसरे के निकट स्थित हैं। यदि कुंडली में विद्युत् धारा में कोई परिवर्तन करें, तो क्या कुंडली छ में कोई बिद्युत् धारा प्रेरित होगी ? कारण लिखिए।
उत्तर :- हाँ। जब कुंडली से विद्युत धारा में परिवर्तन किया जाता है तो कुंडली छ में भी विद्युत धार प्रेरित होगी । कुंडली A में विद्युत थारा में परिवर्तन के कारण इससे संबंधित चुंबकीय बल रेखाएँ कुंडली 8 के साथ बदल जाता हैं और यह कुंडली B में विद्युत् धारा को उत्पन्न कर देगा।
Q15. निम्नलिखित की दिशा को निर्धरित करने वाला नियम लिखिए।
उत्तर :- किसी विद्युत धरावाही सीध् चालक के चारों ओर उत्पन्न चुंबकीय क्षेत्रा,किसी चुंबकीय क्षेत्रा में, क्षेत्रा के लंबवत स्थित, विद्युत धारावाही सीधे चालक पर आरोपित बल, तथा किसी चुंबकीय क्षेत्रा में किसी वुंफडली के घूर्णन करने पर उस वुंफडली में उत्पन्न प्रेरित विद्युत धारा।
Q16. नामांकित आरेख खींचकर किसी विद्युत जनित्रा का मूल सि (अंत तथा कार्यविध् स्पष्ट कीजिए। इसमें ब्रुशों का क्या कार्य है?
उत्तर :-
सिद्धांत :- प्रत्यावर्तित विद्युत् जनित्र विद्युतचुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है। जब एक कुंडली समानांतर चुंबकीय क्षेत्र में घूर्णन करती है, तो चुंबकीय क्षेत्र रेखाएं कुंडली से गुजरती हैं और विद्युत् प्रेरित करती हैं और इसमें विद्युत् स्थापित करती हैं।
इसके मुख्य भाग निम्नलिखित हैं-
1. चुंबक: एक शक्तिशाली अवतल बेलनाकार चुंबक जैसे नाल चुंबक का कार्य है शक्तिशाली चुंबकीय क्षेत्र बनाना।
2. कुंडली: एक आयताकार लोहे के टुकड़े पर तांबे की तार लपेटकर उसे कुंडली का रूप दिया जाता है। जिसमें विद्युत् धारा प्रवाह की जाती है और इसे चुंबकीय क्षेत्र में रखा जाता है जिससे इस पर बल लगता है और ये अपने अक्ष पर घूमता है। चित्र में ABCD कुंडली को दर्शाया गया है।
3. विभक्त वलय: यह अर्धगोल छल्ले होते हैं। ये कुंडली के दोनों सिरों से परस्पर जुड़े होते हैं और कुंडली के अर्ध घूर्णन के साथ ये भी घूर्णन करती हैं। चित्र में इन्हें S1 और S2 से दर्शाया गया है।
4. ब्रुश: B1 और B2 दो कार्बन या लचीले धातु की छड़ें हैं जो अर्धगोल छल्लों से परस्पर जुड़े होते हैं और इनका काम विद्युत् धारा को लोड तक ले जाना है। चित्र में इन्हें गैल्वेनोमीटर से जोड़ा गया है जो विद्युत् धारा को मापता है।
कार्य: मान लीजिये एक कुंडली ABCD क्षैतिज अवस्था में है। अब कुंडली दक्षिणार्थ घूर्णन कर रही है कुंडली चुंबकीय क्षेत्र रेखाओं को काटती है। कुंडली का AB भाग ऊपर की तरफ और CD भाग नीचे की तरफ घूमता है। फ्लेमिंग के दक्षिण हस्त नियम के अनुसार विद्युत् कुंडली के AB भाग में A से B और CD भाग में C से D ABCD की दिशा में प्रेरित होगा। प्रेरित विद्युत् परिपथ में ब्रुश B2 से B1 की तरफ जाएगा। कुंडली के आधे घूर्णन के बाद, CD भाग ऊपर की तरफ और AB भाग नीचे की तरफ घूर्णन करेगा। प्रेरित विद्युत् अब उत्क्रमित दिशा में प्रवाहित होगी यानी DCBA की तरफ से। विद्युत् B1 से B2 की दिशा में प्रवाहित होगा। यानी कुंडली के हर आधे घूर्णन के बाद विद्युत् की दिशा उत्क्रमित हो जाएगी। यह विद्युत् जो हर बराबर के अंतराल के बाद अपनी दिशा परिवर्तित करती है, प्रत्यावर्तित विद्युत् कहलाती है। और यह यंत्र प्रत्यावर्तित विद्युत् जनित्र कहलाता है।
Q17. किसी विद्युत परिपथ में लघुपथन कब होता है?
उत्तर :- जब विद्युत परिपथ में विघुनमय तार तथा उदासीन तार सम्पर्क में आ जाती है तो प्रतिरोध के शून्य हो जाने के कारण लघुपथन होता है
Q18. भूसंपर्क तार का क्या कार्य है? धतु के आवरण वाले विद्युत साध्त्रिों को भूसंपर्कित करना क्यों आवश्यक है?
उत्तर :- धातु के आवरण वाले विद्युत् साधित्रों को भू- संपर्कित करना क्यों आवश्यक है? भू-संपर्क तार हरे रंग के विद्युत् रोधी आवरण से ढ़की रहने वाली वह सुरक्षा तार है जो घर के निकट भूमि के भीतर बहुत गहराई में दबी धातु की प्लेट से संयोजित रहती है और अल्प प्रतिरोध का चालन पथ प्रस्तुत करती है।