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हिन्दी चीन में राष्ट्रवादी आन्दोलन
Q.1. रासायनिक हथियारों, एवं एजेंट ऑरेंज का वर्णन करें |
Ans: – नापाम और एजेंट ऑरेंज रासायनिक घातक हथियार थे । अमेरिका ने इसका उपयोग वियतनामी युद्ध में किया । नापाम में गैसोलिन मिला था जो ज्वलनशील होने के कारण त्वचा से चिपककर जलता रहता था । एजेंट ऑरेंज खतरनाक जहर था । उसे जिन ड्रमों में रखा जाता था उनपर ऑरेंज रंग की पट्टियाँ बनी होती थी । इनके प्रयोग से धन – जन की भारी हानि हुई ।
Q.2. अमेरिका हिन्द-चीन में कैसे दाखिल हुआ, चर्चा करें |
Ans: – अमेरिका दक्षिणी वियतनाम और हिन्द- चीन में साम्यवादी प्रभाव को रोकने के लिए दाखिल हुआ । दूसरी तरफ कम्बोडिया का शासक सिंहानुक अमेरिका से संबंध विच्छेदकर चीन की ओर झुका जिससे अमेरिका को हस्तक्षेप करना पड़ा । साथ ही सिंहानुक साम्यवादी रूस और पूर्वी जर्मनी से संबंध बढ़ाना आरंभ कर दिया । लेकिन अमेरिका पूरे हिन्द – चीन में साम्यवादी प्रभाव को बढ़ाना नहीं चाहता था । इसलिए उसने हिन्द – चीन में हस्तक्षेप किया ।
Q.3. जेनेवा समझौता कब और किनके बीच हुआ ?
Ans: – जेनेवा समझौता मई, 1954 ई० में हिन्द-चीन समस्या पर वार्ता हेतु बुलाया गए सम्मलेन में हुआ | इसमें वियतनाम को दो हिस्सों में बाँट दिया गया तथा लाओस तथा कम्बोडिया में वैध राजतंत्र को स्वीकार कर संसदीय शासन-प्रणाली को अपनाया गया |
Q.4. बओदाई कौन था ?
Ans: – बओदाई अन्नाम का राजा था | 1945 ई० में वियतनाम गणराज्य बन जाने के कारण 25 अगस्त,1945 ई० को राजसिंहासन छोड़ लन्दन बस गया | 1949 ई० में फ़्रांस ने बओदाई को सैनिक सहायता के साथ दक्षिण वियतनाम का शासक बना दिया | बओदाई स्वंय की कमजोर स्थिति को समझता था | जेनेवा समझौता के बाद भी बओदाई प्राय: फ़्रांस में ही रहता था |
Q.5. एकतरफा अनुबंध व्यवस्था क्या थी ?
Ans: – एकतरफा अनुबंध व्यवस्था एक तरह की बंधुआ मजदोरी थी जिसमें मजदोरों को कोई अधिकार प्राप्त नहीं था, जबकि मालिक को असीमित अधिकार प्राप्त थे | रबर बागानों के खेतों एवं खानों में मजदूरों से एकतरफा अनुबंध व्यवस्था पर काम लिया जाता था |
Q.6. हिन्द–चीन में फ्रंसीसी प्रसार का वर्णन करें |
Ans: – फ्रांसीसी कम्पनी हिन्द –चीन में प्रसार करने में सक्रिय था |फ्रंसीसी व्यापारियों के साथ –साथ पादरी भी इस क्षेत्र में आने लगीं | 1747 ई० के बाद फ़्रांस अन्नाम में रूचि लेने लगा | किन्तु अभी भी इस क्षेत्र में उसकी पकड़ कमजोर थी | उन्नीसवीं सदी में इस क्षेत्र में फ्रंसीसी पादरियों की बढ़ती गतिविधियों के विरुद्ध उग्र आंदोलन प्रारम्भ हो गया | इससे फ़्रांस को अपनी सैन्य शक्ति के प्रयोग का बहाना मिला |उसने सैन्य बल के आधार पर 1862 ई० में अन्नाम को संधि के लिए बाध्य किया | इसी प्रकार 1863 ई० में कम्बोडिया पर तथा 1883 ई० में तोंकिन पर अधिकार कर लिया | इस प्रकार बीसवीं सदी की शुरुआत तक संपूर्ण हिन्द –चीन क्षेत्र फ़्रांस के नियंत्रण में आ गया |
Q.7.माई –ली गाँव की घटना क्या थी इसका क्या प्रभाव पड़ा ?
Ans: – माई ली दक्षिणी वियतनाम में एक गाँव था जहाँ के लोगों को वियतकांग समर्थक मान अमेरिकी सेना ने पूरे गांव को घेरकर पुरुषों को मार डाला, औरतों बच्चियों को बंधक बनाकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया | फिर उन्हें भी मारकर पूरे गाँव में आग लगा दिया | लाशों के बीच दबा एक बूढ़ा जिन्दा बच गया था जिसने इस घटना को उजागर किया था | माई –ली गाँव की घटना उजागर होने पर अमेरिकी सेना की आलोचना सम्पूर्ण विश्व में होने लगी |
Q.8. होआ–होआ आन्दोलन की चर्चा करें |
Ans: – होआ हाओ एक वियतनामी बौद्ध धार्मिक आंदोलन था। इसकी शुरुआत वर्ष 1939 में बौद्ध सुधारक हुइन्ह फु सो ने की थी। होआ हाओ, समन्वित धार्मिक समूह काओ दाई के साथ, फ्रांसीसी और बाद में जापानी उपनिवेशवादियों के खिलाफ सशस्त्र शत्रुता शुरू करने वाले पहले समूहों में से एक था।
Q.9. हो-ची – मिन्ह के विषय के संबंध में लिखें |
उत्तर- हो ची मिन्ह वियतनामी स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे । वे साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित थे । 1925 में उन्होंने ‘ वियतनामी क्रांतिकारी दल ‘ की स्थापना की एवं फ्रांसीसी साम्राज्यवाद से लड़ने के लिए कार्यकर्त्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की । 1930 ई ० में राष्ट्रवादी गुटों को एकत्रित कर ‘ वियतनाम कॉग सान देंग दल की स्थापना की । 1945 ई ० में उन्होंने लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की । वे जीवन पर्यंत वियतनाम की स्वतंत्रता और अखण्डता लिए संघर्षरत रहे ।
10. हो ची मिन्ह का संक्षिप्त परिचय दें ।
Ans:- हो ची मिन्ह वियतनामी स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता थे । वे साम्यवादी विचारधारा से प्रभावित थे । 1925 में उन्होंने ‘ वियतनामी क्रांतिकारी दल ‘ की स्थापना की एवं फ्रांसीसी साम्राज्यवाद से लड़ने के लिए कार्यकर्ताओं के सैनिक प्रशिक्षण की व्यवस्था की । 1930 ई ० में राष्ट्रवादी गुटों को एकत्रित कर ‘ वियतनाम काँग सान देंग दल की स्थापना की । 1945 ई ० में उन्होंने लोकतांत्रिक गणराज्य की स्थापना की । वे जीवन पर्यंत वियतनाम की स्वतंत्रता और अखण्डता के लिए संघर्षरत रहे ।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
1. हिन्द – चीन में फ्रांसीसी प्रसार का वर्णन करें । (अथवा) हिन्द – चीन उपनिवेश स्थापना का उद्देश्य क्या था ?
Ans:- हिन्द चीन में फ्रांसीसियों के उपनिवेश स्थापना के कई कारण थे ।
(i) आर्थिक कारण- वियतनाम एक कृषि प्रधान देश था । यहाँ चावल और रबर का उत्पादन होता था । यहाँ विभिन्न प्रकार के खनिज पदार्थ
जैसे — कोयला , टीन , जस्ता , टंगस्टन , क्रोमियम थे । इनका उपयोग फ्रांसीसी अपने उद्योगों के विकास में करना चाहते थे । हिन्द – चीन में फ्रांस को बड़ा व्यापार भी मिल सकता था ।
( ii ) व्यापारिक सुरक्षा – फ्रांस को डच एवं ब्रिटिश व्यापारिक कम्पनियों की प्रतिस्पर्द्धा का सामना करना पड़ता था । चीन में उनके व्यापारिक प्रतिद्वन्द्वी अंग्रेज थे । भारत में फ्रांसीसी कमजोर हो गए थे।
अतः आर्थिक तथा व्यापारिक दृष्टिकोण से फ्रांसीसियों के लिए हिन्द – चीन सुरक्षित थे क्योंकि वहाँ से भारत और चीन दोनों जगहों को संभाल सकते थे । औद्योगीकरण के लिए कच्चे माल की आपूर्ति उपनिवेशों से होती थी ।
( iii ) यूरोपीय सभ्यता का विकास करना – फ्रांसीसियों का एक उद्देश्य हिन्द – चीन वासियों को यूरोपीय सभ्यता से अवगत कराकर उन्हें सभ्य बनाना था । इसके अतिरिक्त कैथोलिक धर्म का प्रचार भी उपनिवेश स्थापना का एक उद्देश्य था ।
1. राष्ट्रपति निक्सन के हिन्द – चीन में शांति के संबंध में पाँच सूत्री योजना क्य थी ?
अथवा ,
प्रथम विश्वयुद्ध के भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के साथ अन्तसंबंधों की विवचेना करें ।
Ans:- अमेरिका- वियतनाम युद्ध में अमेरिकी अत्याचार की आलोचना पूरे विश्व में होने लगी । अमेरिकी राष्ट्रपति निक्सन ने हिन्द – चीन में शांति के लिए पाँच सूत्री योजना की घोषणा की जो निम्नलिखित थी-
(i) हिन्द – चीन की सभी सेनाएँ युद्ध बंद कर यथास्थान पर रहे ।
(ii) युद्ध विराम की देखरेख अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षक करेंगे ।
(iii) इस दौरान कोई देश अपनी शक्ति बढ़ाने का प्रयत्न नहीं करेगा ।
(iv) युद्ध विराम के दौरान सभी तरह की लड़ाइयाँ बंद रहेंगी तथा
(v) युद्ध का अंतिम लक्ष्य समूचे हिन्द- चीन में संघर्ष का अंत होगा ।
परंतु इस शांति प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया गया । निक्सन ने पुनः आठ सूत्री योजना रखी जिसे भी वियतनामियों ने खारिज कर दिया । हिन्द – चीन में अब चीन और सोवियत संघ ने भी अपना प्रभाव बढ़ाना आरंभ कर दिया । 27 फरवरी , 1973 को अंततः पेरिस में वियतमान युद्ध की समाप्ति के समझौते पर हस्ताक्षर हो गया । इस तरह से अमेरिका के साथ चला आ रहा युद्ध समाप्त हो गया एवं अप्रैल 1975 में उत्तरी एवं दक्षिणी वियतनाम का एकीकरण हो गया ।
3. हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें ।
Ans:- हिंद – चीन में राष्ट्रवाद के विकास में विभिन्न तत्त्वों का योगदान था , जिनमें औपनिवेशिक शोषण की नीतियों तथा स्थानीय आंदोलनों ने काफी बढ़ावा दिया । 20 वीं शताब्दी के शुरुआत में यह विरोध और मुखर होने लगा । उसी परिपेक्ष्य में 1903 ई ० में फान – बोई चाऊ ने ‘ दुई तान होई नामक एक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की जिसके नेता कुआगे दें थे । फान – बोई – चाऊ ने “ द हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम ” लिखकर हलचल पैदा कर दी ।
1905 में जापान द्वारा रूस को हराया जाना हिंद- चीनियों के लिए प्रेरणा स्रोत बन गया । साथ ही रूसो एवं मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के विचार भी इन्हें उद्वेलित कर रहे थे । इसी समय एक – दूसरे राष्ट्रवादी नेता फान – चू – त्रिन्ह हुए जिन्होंने राष्ट्रवादी आंदोलन के राजतंत्रीय स्वरूप की गणतंत्रवादी बनाने का प्रयास किया । जापान में शिक्षा प्राप्त करने गए छात्र इसी तरह के विचारों के समर्थक थे । इन्हीं छात्रों ने वियतनाम कुवान फुक होई ( वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन ) की स्थापना की ।
हालाँकि हिंद – चीन में प्रारंभिक राष्ट्रवाद का विकास कोचिन – चीन , अन्नाम , तोंकिन जैसे शहरों तक ही सीमित था , परंतु जब प्रथम विश्वयुद्ध शुरू हुआ तो इन्हीं प्रदेशों के हजारों लोगों को सेना में भर्ती किया गया , हजारों मजदूरों को बेगार के लिए फ्रांस ले जाया गया । युद्ध में हिंद – चीनी सैनिकों की ही बड़ी संख्या में मृत्यु हुई । इन सब बातों की तीखी प्रतिक्रिया हिंद – चीनी लोगों पर हुई और 1914 ई ० में ही देशभक्तों ने एक “ वियतनामी राष्ट्रवादी दल ” नामक संगठन बनाया ।
1930 के दशक की विश्वव्यापी आर्थिक मंदी ने भी राष्ट्रवाद के विकास में योगदान किया ।