Class 10 Social Science NCERT Solutions History in Hindi Chapter – 7. व्यापार और भूमंडलीकरण

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व्यापार और भूमंडलीकरण

प्रश्न .1. न्यू डील से आप क्या समझते हैं ?

 उत्तर :- आर्थिक मंदी के प्रभावों को समाप्त करने एवं उसे नियंत्रित करने के उद्देश्य से 1932 में अमेरिको राष्ट्रपति फ्रैंकलीन डी ० रूजवेल्ट ने नई आर्थिक नीति अपनाई जिसे ‘ न्यू डील ‘ का नाम दिया गया । इस नई नीति के अनुसार जन कल्याण की व्यापक योजना के अंतर्गत आर्थिक , राजनीतिक एवं प्रशासनिक नीतियों को नियमित करने का प्रयास किया गया ।

प्रश्न .2. आर्थिक संकट से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर :- आर्थिक मंदी अर्थव्यवस्था में आनेवाली वैसी स्थिति है जब कृषि , उद्योग तथा व्यापार का विकास अवरुद्ध हो जाए । लाखों लोग बेरोजगारी की स्थिति में आ जाते हैं , बैंकों और कंपनियों का दिवालियापन तथा वस्तु और मुद्रा दोनों की बाजार में कोई कीमत नहीं रह जाती है ।

प्रश्न .3 . रेशम मार्ग से आप क्या समझते हैं ?

 उत्तर :- ईसा की आरंभिक सदियों में सबसे प्रमुख मार्ग रेशम मार्ग था । चीनी व्यापारी इसी मार्ग से रेशम विभिन्न देशों तक ले जाते थे । रेशम मार्ग चीन से आरंभ होता था , तथा जमीनी मार्ग द्वारा मध्य एशिया होते हुए यूरोप तक जाता था । मध्य एशिया से इसकी एक शाखा भारत तक भी आती थी । इसी प्रकार समुद्री रेशम मार्ग से भी एशिया , यूरोप तथा अफ्रीका से जुड़े थे । इसी रास्ते से ‘ चीनी पाँटकी ‘ , वस्त्र , मसाले , सुगंधित पदार्थ विश्व के विभिन्न भागों तक ले जाये जाते थे । सिल्क मार्ग से सिर्फ व्यापार ही नहीं बल्कि सांस्कृतिक आदान – प्रदान भी हुआ । तात्कालिक व्यापारिक जगत में इस मार्ग की महत्त्वपूर्ण भूमिका थी ।  

प्रश्न .4. विश्व बाजार किसे कहते हैं ?

 उत्तर :- जहाँ विश्व के विभिन्न देशों के व्यापारी सामानों की खरीद – बिक्री करते हैं उसे विश्व बाजार / अन्तर्राष्ट्रीय बाजार कहते हैं । आधुनिक यूरोप में भौगोलिक खोजों , पुनजांगरण , राष्ट्रीय राज्यों के उदय एवं वाणिज्यवाद की उत्पत्ति के बाद विश्व बाजार का तेजी से विकास हुआ । औद्योगिक क्रांति ने विश्व बाजार का विस्तार किया ।

प्रश्न .5. महान आर्थिक मंदी से आप क्या समझते हैं ?

उत्तर :- आर्थिक महामंदी की शुरुआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक तक बना रहा । इस दौरान दुनिया आर्थिक महामंदी के चपेट में आ गया । महामंदी से रोजगार , आय और व्यापार में गिरावट आयी । कृषि क्षेत्र पर इसका सबसे बुरा असर पड़ा । कृषि उत्पादों में अधिक वृद्धि होने से उसके खरीददार की कमी हो गई जिससे कृषि उत्पादों की कीमतें गिर गई । इससे कृषकों एवं उद्योगपतियों दोनों की स्थिति खराब हो गई ।  

प्रश्न .6. भूमंडलीकरण किसे कहते हैं ?

उत्तर :- भूमंडलीकरण राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक , वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करता है । भूमंडलीकरण राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक , वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की प्रक्रिया है जो विश्व के विभिन्न भागों के लोगों को भौतिक व मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत करने का सफल प्रयास करता है ।  

प्रश्न .7. ब्रेटन वुड्स सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य क्या था ?

उत्तर :- ब्रटेन वुड्स सम्मेलन जुलाई , 1944 ई ० में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थान पर हुआ था जिसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार था । क्योंकि इसी आधार पर विश्व शांति स्थापित की जा सकती थी ।

प्रश्न .8. औद्योगिक क्रांति ने किस प्रकार विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया ?

उत्तर- विश्व बाजार के स्वरूप का विस्तार औद्योगिक क्रांति के बाद ही हुआ । इस क्रांति ने बाजार को तमाम आर्थिक गतिविधियों का केंद्र बना दिया । जैसे – जैसे औद्योगिक क्रांति का विकास हुआ , बाजार का स्वरूप विश्वव्यापी होता चला गया और 20 वीं शताब्दी के पहले तक तो इसने सभी महादेशों में अपनी उपस्थिति कायम कर ली । उत्पादन के बढ़ते आकार से कच्चे मालों की आवश्यकता हुई जिसने इंगलैंड को उत्तरी अमेरिका , एशिया ( भारत ) और अफ्रीका की ओर ध्यान आकर्षित किया जहाँ उसे कच्चा माल के साथ बना – बनाया एक बाजार भी मिला ।

प्रश्न .9. 1950 के बाद विश्व अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए किए जाने वाले प्रयासों का वर्णन करें ।  

उत्तर- 1950 से 1960 के दशक में महत्त्वपूर्ण आर्थिक संबंधों का विकास हुआ था । विश्व में साम्यवादी विचार के प्रसार को रोकने के लिए समन्वय और सहयोग के एक नवीन युग की शुरुआत की गई जिसे यूरोप के एकीकरण के नाम से हम जानते हैं । इस दिशा में पहला प्रयास 1945 के पहले फ्रांस के विदेश मंत्री ब्रियां के यूरोपीय संघ के विचार के रूप में हम देखते हैं । लेकिन वास्तविक रूप से इसकी शुरुआत 1944 में उभरकर सामने आई जब नीदरलैण्ड , बेल्जियम और लग्जेमबर्ग ने ‘ बेनेलेक्स ‘ नामक संघ बनाया । इसी प्रकार 1948 में ब्रुसेल्स संधि हुई जिसने यूरोपीय आर्थिक सहयोग की प्रक्रिया कोयला एवं इस्पात के माध्यम से शुरू की । इन प्रयासों के बीच पहला बड़ा कदम 1957 में उठाया गया । उस साल यूरोपीय आर्थिक समुदाय , यूरोपीय इकोनॉमिक कम्युनिष्ट ( ई ० ई ० सी ० ) की स्थापना की गई । इसमें फ्रांस , पश्चिम जर्मनी , बेल्जियम , हॉलैण्ड , लग्जेमबर्ग और इटली शामिल हुए । इन देशों ने एक साफा बाजार स्थापित किया ।

दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न .1. नई आर्थिक नीति क्या है ? विवेचना करें ।

 उत्तर :- ब्रटेन वुड्स सम्मेलन जुलाई , 1944 ई ० में अमेरिका के न्यू हैम्पशायर स्थान पर हुआ था जिसका मुख्य उद्देश्य औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार था । क्योंकि इसी आधार पर विश्व शांति स्थापित की जा सकती थी । आर्थिक महामंदी का आरंभ अमेरिका में हुआ था जो 1929 से 1933 तक बना रहा । महामंदी से उबरने के लिए रूजवेल्ट ने नई आर्थिक नीति अपनाई । इस नयी नीति के अनुसार जनकल्याण की व्यापक योजना बनाई गई । इसका प्रमुख उद्देश्य कृषि और उद्योग में संतुलन स्थापित करना साथ ही मानव समाज और स्वाधीनता को सुरक्षित रखना भो था । जनकल्याण के तहत रेलमार्ग , सड़क , पुल एवं स्थानीय विकास के कार्य के लिए ऋण दो गई ताकि रोजगार के नए अवसर उपलब्ध हो सके । औद्योगिक क्षेत्र में व्यापार और उत्पादन का नियमन , मजदूरी में वृद्धि , काम के घंटे तय करना , मूल्यों में वृद्धि को रोकना इत्यादि कार्य किए गए । कृषि क्षेत्र में किसानों की क्रय शक्ति तथा सामान्य आर्थिक स्थिति को युद्ध के पूर्व के स्तर तक ले जाने का प्रयास हुआ । 

प्रश्न .2. भूमंडलीकरण के कारण आम लोगों के जीवन में आने वाले परिवर्तनों को सपष्ट करें ।

उत्तर :- भूमंडलीकरण राजनीतिक , आर्थिक , सामाजिक , वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक जीवन के विश्वव्यापी समायोजन की प्रक्रिया को कहा जाता है । यह विश्व स्तर पर लोगों को भौतिक , सांस्कृतिक एवं मनोवैज्ञानिक स्तर पर एकीकृत कर एकरूपता लाने का प्रयास करता है । भूमंडलीकरण के कारण आम लोगों के जीवन स्तर में काफी परिवर्तन आए हैं । अभी हम रह रहे हैं उसमें आर्थिक भूमंडलीकरण का जीवन पर साफ दिख रहा है । भूमंडलीकरण के कारण आम लोगों के जीविकोपार्जन के क्षेत्र में जो बदलाव आया है उसकी झलक शहर , करावा सभी जगह स्पष्ट दिखाई पद है । वर्तमान दौर में 1991 के बाद संपूर्ण विश्व में सेवा क्षेत्र का विस्तार काफी तीज गति से हुआ है , जिसमे जीविकोपार्जन के कई नये क्षेत्र खुले हैं । भूमंडलीकरण के कारण कई निजी ( प्राइवेट कंपनी या बैंक ( रिलायंस आई.सी. आई- सी आई ) में लोग लाभकारी योजनाओं में निवेश करने के लिए प्रेरित हुए हैं जिससे सीमा क्षेत्र का विस्तार हुआ है । इससे जुड़कर गाँव या शहर के लाखों लोग रोजगार प्राप्त कर रहे हैं । पर्यटन स्थल के विकास के कारण भी रोजगार के नवीन अवसर उपलब्ध हुए हैं , जैसे – दूर एवं ट्रेवल एजेंसी , रेस्ट हाउस , रेस्टोरेंट , आवासीय होटल इत्यादि निजी डाक सेवा ( फोरियर सेवा ) , कंप्यूटर , इंटरनेट के कारण भी हजारों लोगों के रोजगार के नवीन अवसर सृजित हुए हैं । भूमंडलीकरण की प्रक्रिया ने आम लोगों के जीवन स्तर को भी बढ़ाया है । इस प्रकार हम कह सकते हैं , कि धूमंडलीकरण ने आम लोगों के जीवन स्तर में क्रांतिकारी परिवर्तन लाया है ।

प्रश्न .3. भूमंडलीकरण के भारत पर प्रभावों का वर्णन करें ।

उत्तर :- भूमंडलीकरण के प्रभाव से भारत भी अजूता नहीं रहा । भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों का जीवन स्तर ऊंचा उठा भूमंडलीकरण के कारण भारतीय लोगों में रोजगार के कई नवीन अवसर को उपलब्ध कराया गया जिसके कारण भारतीय लोगों के जीविकोपार्जन के क्षेत्र में काफी बदलाव आया । जैसे दूर एवं ट्रेवल ऐजेंसी ( घातायात की सुविधा ) , रेस्टोरेंट रेस्ट हाउस , आवासीय होटल इत्यादि । सूचना एवं संचार के क्षेत्र में सरकारी नौकरियों पर दबाव कम हो गया है । कम्प्युटर , इंटरनेट , कॉलसेंटर , डिजीटल , फोटोग्राफी , कूरियर सेवा में भी क्रांति आई जिससे इस क्षेत्र में भी भारतीय लोगों को रोजगार के अवसर पैदा हुए । 

प्रश्न .4. विश्व बाजार के स्वरूप को स्पष्ट करें ।

उत्तर :- जहाँ विश्व के विभिन्न देशों के व्यापारी सामानों को खरीद – बिक्री करते हैं , विश्व बाजार कहलाता है । 19 वीं शताब्दी से विश्व में अनेक महत्त्वपूर्ण बदलाव आए । ये बदलाव आर्थिक , सामाजिक , राजनीतिक , सांस्कृतिक और तकनीकी कारणों से आए जिसका समस्त विश्व पर व्यापक प्रभाव पड़ा । औद्योगिक क्रांति ने विश्व बाजार का विस्तार किया औद्योगिक क्रांति के द्वारा उत्पादन के बढ़ते आकार के कारण कच्चे माल तथा तैयार माल के लिए बाजार की आवश्यकता हुई । इस विश्व बाजार का आधार कपड़ा था । औद्योगिक क्रांति के फैलाव के साथ – साथ बाजार का स्वरूप भी विश्वव्यापी होता गया । साथ ही , व्यापार , पूँजी के प्रवाह और श्रमिकों के पलायन ने भी विश्व बाजार के स्वरूप को विस्तृत किया । इस प्रक्रिया में उपनिवेशवाद ने महत्त्वपूर्ण योगदान किया ।

प्रश्न .5. 1929 के आर्थिक संकट के कारण एवं परिणामों को स्पष्ट करें ।

उत्तर :- 1929 के आर्थिक संकट के कारण ( 1 ) कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन के कारण विश्व बाजारों में खाद्यानों की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो गई । इससे अनाज के मूल्य में कमी आई उनका खरीददार नहीं रहा । ( ii ) गरीबी और बेरोजगारी से उपभोक्ताओं को पक्षमता घट गई थी , अत : विश्व बाजार पर आधारित व्यवस्था लड़खड़ा गई । ( iii ) अमेरिकी पूंजी के प्रवाह में कमी आर्थिक संकट का एक अन्य महत्त्वपूर्ण कारण था । स्वयं अमेरिको अर्थव्यवस्था भी संकटग्रस्त हो गई । इसने महामंदी की स्थिति ला दी । 1929 के आर्थिक संकट के परिणाम आर्थिक महामंदी का विश्वव्यापी प्रभाव पड़ा । यूरोपीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई यूरोप के अनेक बैंक रातों – रात बंद हो गए । अनेक देशों की मुद्रा का अवमूल्यन हो गया । अनाज और कच्चे माल की कीमतें घटने लगी । व्यापक विश्व बाजार का स्थान संकुचित आर्थिक राष्ट्रवाद ने ले लिया । भारत में किसानों को दयनीय हो गई । बंगाल का पटसन उद्योग बुरी तरह प्रभावित हुआ । व्यापार में गिरावट आई । भारत से ब्रिटेन सोना का निर्यात करने लगा ।

प्रश्न .6. 1929 ई ० के आर्थिक संकट के किन्हीं तीन कारणों का संक्षिप्त विवरण दें ।

उत्तर :- 1929 ई . के आर्थिक संकट के कारण (1) प्रथम विश्वयुद्ध के बाद खाद्यान्नों का उत्पादन आवश्यकता से अधिक हुआ जिससे कीमतें घट गई । उनका कोई खरीददार नहीं रहा ।

 (11) औद्योगिक उत्पादन में भी वृद्धि हुई परन्तु इन्हें खरीदनेवाला नहीं रहा । इससे विश्व बाजार आमृत अर्थव्यवस्था लड़खड़ा गई । (i) 1921 के बाद अमेरिका ने कर्ज देना बंद कर दिया था और दिए गए । कर्ज की वापसी की माँग करने लगा था । इससे अमेरिकी कर्ज पर आश्रित देशों के लिए संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई । ( iv ) प्रथम विश्वयुद्ध के कारण यूरोप के देश इतने बर्बाद हो गए थे कि अमेरिका से माल आयात करने की अवस्था में न थे । ( v ) अमेरिका में शेयरों की कीमत में गिरावट आ गई जिससे वहाँ के लाखों कम्पनियाँ बंद हो गई ।

प्रश्न .7. भूमंडलीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों के योगदान ( भूमिका ) को स्पष्ट करें ।

उत्तर :- 19 वीं शताब्दी के मध्य से जब पूँजीवादी विश्वव्यापी व्यवस्था बन गया , भूमंडलीकरण का स्वरूप भी व्यापक होता गया । इस समय पूँजी का निर्यात अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक संबंधों की एक मुख्य विशेषता बन गई और व्यापार का परिमाण भी काफी बढ़ा । धीरे – धीरे यह संपूर्ण विश्व के अर्थतंत्र का नियामक हो गया । इसके प्रभाव को कायम करने में विश्व बैंक , अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष , विश्व व्यापार संस्था तथा पूँजीवादी देशों की बड़ी – बड़ी व्यापारिक और औद्योगिक कंपनियाँ जिन्हें हम बहुराष्ट्रीय कंपनी कहते हैं , का बहुत बड़ा योगदान था । मुक्त बाजार , मुक्त व्यापार , खुली प्रतिस्पर्धा निगमों ( कंपनी ) का प्रसार , उद्योग तथा सेवा क्षेत्र का निजीकरण उक्त आर्थिक भूमंडलीकरण के मुख्य तत्व हैं ।

प्रश्न.9. दो महायुद्धों के बीच और 1945 के बाद औपनिवेशिक देशों में होनेवाले राष्ट्रीय आन्दोलनों पर एक निबंध लिखें ।

उत्तर – औद्योगिक क्रांति के बाद से ही एशिया ( भारत ) तथा अफ्रीका में औपनिवेशिक साम्राज्य की स्थापना होनी शुरू हो गयी थी । उपनिवेशवाद ऐसी राजनीतिक – आर्थिक प्रणाली जो प्रत्यक्ष रूप से एशिया और अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका में यूरोपीय देशों द्वारा स्थापित किया गया था जिसका एकमात्र उद्देश्य इन देशों का आर्थिक शोषण करना था । विश्व बाजार ने एशिया और अफ्रीका में साम्राज्यवाद , उपनिवेशवाद से एक नये युग को जन्म दिया , साथ – ही – साथ भारत जैसे उपनिवेशों का शोषण और तीव्र हुआ । व्यापार में वृद्धि और विश्व अर्थव्यवस्था के साथ निकटता ने औपनिवेशिक लोगों की आजीविका को छीन लिया । इस काल में भारत और अन्य औपनिवेशिक देशों में राष्ट्रीय चेतना का प्रसार निर्णायक रूप से हुआ क्योंकि प्रथम महायुद्ध के बाद उन्हें आर्थिक संकटों करना पड़ा । दूसरे , उस समय शासक देशों ( साम्राज्यवादी देशों ) द्वारा किया गया स्वराज का वायदा पूरा नहीं हुआ । साम्राज्यवादी देशों की आर्थिक नीतियों खासकर उनकी शोषणकारी आर्थिक नीतियों से औपनिवेशिक देशों में राष्ट्रीय भावना संचार हुआ तथा वहाँ उस औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन को बड़ा बल मिला । इन्हीं राष्ट्रीय आन्दोलनों ने भारत सहित कई औपनिवेशिक देशों में स्वतंत्रता को दिलाया ।

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